**यहोशू 17: मनश्शे के आधे गोत्र का भाग**
यहोशू के समय में, जब इस्राएल के लोग कनान देश को अपने भाग के रूप में बाँट रहे थे, तब मनश्शे के गोत्र के आधे भाग को भी उनका हिस्सा मिला। यह गोत्र यूसुफ के पुत्र मनश्शे की संतान था, और उन्हें यरदन नदी के पश्चिम की ओर भूमि दी गई।
### **मनश्शे के वंशजों का आगमन**
मनश्शे के पुत्रों में माकीर सबसे बड़ा था, जो एक महान योद्धा हुआ। उसके वंशजों को गिलाद और बाशान का प्रदेश मिला, क्योंकि वे युद्ध में निपुण थे और उन्होंने उस भूमि को विजय किया था। परन्तु मनश्शे के अन्य परिवारों—अबीएजेर, हेलेक, अश्रीएल, शकेम, हेफेर और शमीदा—को भी अपना भाग चाहिए था। ये सभी यूसुफ के पुत्र मनश्शे के पुत्र थे, और उनके परिवार बड़े और शक्तिशाली हो गए थे।
### **सल्ला की पुत्रियों का दावा**
उन दिनों, हेफेर की पुत्रियाँ—महला, नोआ, होगला, मिल्का और तिर्सा—यहोशू और याजक एलीआजर के पास आईं। वे बोलीं, “यहोवा ने मूसा से कहा था कि हमें भी हमारे पिता के भाग में भूमि मिलेगी।” यहोशू ने यहोवा की आज्ञा का पालन करते हुए उन्हें उनके पिता के भाईयों के बीच में भूमि का अंश दिया। इस प्रकार, मनश्शे के गोत्र में पाँच पुत्रियों को भी उत्तराधिकार मिला, क्योंकि परमेश्वर ने न्याय और समानता का आदेश दिया था।
### **भूमि का विभाजन**
मनश्शे का भाग यरदन के पश्चिम में शकेम के आसपास से लेकर बेतशान तक फैला हुआ था। उनकी सीमाएँ एप्रैम के गोत्र की सीमाओं से मिलती थीं। मनश्शे के नगरों में बेतशान, इब्लेआम, दोर, एनदोर, तानाक और मगिद्दो शामिल थे, परन्तु इन नगरों के आसपास के गाँव इस्राएलियों के अधीन नहीं आए, क्योंकि कनानी अभी भी वहाँ रहते थे।
### **मनश्शे की शिकायत**
मनश्शे के लोगों ने यहोशू के पास जाकर कहा, “हमें केवल एक ही भाग क्यों मिला है, जबकि हम इतने बड़े लोग हैं? यहोवा ने हमें आशीष दी है, और हमारी संख्या बहुत अधिक है।”
यहोशू ने उनसे कहा, “यदि तुम इतने बड़े हो, तो पर्वतों पर जाकर वनों को काट डालो और वहाँ अपने लिए जगह बनाओ। कनानियों के पास लोहे के रथ हैं और वे शक्तिशाली हैं, परन्तु यदि तुम साहसी हो, तो तुम उन्हें भी जीत सकते हो।”
मनश्शे के लोगों ने यहोशू की बात मानी और अपनी सीमाओं का विस्तार करने लगे। फिर भी, वे कनानियों को पूरी तरह निकाल नहीं पाए, क्योंकि उन्होंने उन पर कर लगा दिया और उन्हें अपने अधीन कर लिया।
### **परमेश्वर की योजना और मनुष्य की जिम्मेदारी**
यह घटना इस्राएलियों के लिए एक शिक्षा थी। परमेश्वर ने उन्हें भूमि देने का वचन दिया था, परन्तु उन्हें अपने विश्वास और परिश्रम से उसे प्राप्त करना था। मनश्शे के लोगों ने अपनी आवश्यकता को पहचाना और यहोशू से सहायता माँगी, परन्तु उन्हें यह भी समझना था कि विश्वास के साथ कार्य करना आवश्यक है।
इस प्रकार, मनश्शे के आधे गोत्र को उनका भाग मिला, और वे इस्राएल के अन्य गोत्रों के साथ कनान देश में बस गए। परमेश्वर का वचन सच हुआ, और उसने अपने लोगों को वह भूमि दी जिसका उसने उनके पूर्वजों से वादा किया था।