पवित्र बाइबल

रूत और बोअज़ की कथा: विश्वास और वफादारी

**रूत 4: एक विस्तृत कथा**

बेथलेहेम के फाटक के पास एक सुबह, सूरज की पहली किरणें पहाड़ियों पर चमक रही थीं, और नगर के बुजुर्ग धीरे-धीरे इकट्ठा होने लगे। बोअज़, एक प्रतिष्ठित और धर्मी व्यक्ति, वहाँ पहुँचा और उसने उस निकटतम रिश्तेदार को देखा, जिससे उसने पहले ही रूत के विषय में बात की थी। वह व्यक्ति, जिसका नाम हमारी कथा में नहीं लिखा है, नगर के सम्मानित लोगों में से एक था।

बोअज़ ने उससे कहा, “हे मित्र, आओ और यहाँ बैठो। हमें एक महत्वपूर्ण मामले पर विचार करना है।” जब वह बैठ गया, तो बोअज़ ने नगर के दस बुजुर्गों को भी बुलाया और कहा, “आप लोग आज हमारे साक्षी बनें।”

हवा में गंभीरता छा गई। बोअज़ ने अपनी बात जारी रखी, “हमारे भाई एलीमेलेक की भूमि, जो नाओमी के पास है, बेची जाने वाली है। तुम्हारा इस पर छुटकारे का अधिकार है। यदि तुम इसे छुड़ाना चाहो, तो छुड़ा लो। परन्तु यदि नहीं, तो मुझे बता दो, क्योंकि तुम्हारे बाद मैं ही हूँ।”

उस रिश्तेदार ने तुरंत उत्तर दिया, “मैं इसे छुड़ा लूँगा।”

किन्तु बोअज़ ने फिर कहा, “जिस दिन तू नाओमी के हाथ से भूमि खरीदेगा, उसी दिन तुझे मोआबी रूत को भी, जो मृतक की पत्नी है, अपने घर लेना होगा, ताकि मृतक का नाम उसके भाईयों के बीच और उसके नगर में बना रहे।”

यह सुनकर वह रिश्तेदार चिंता में पड़ गया। उसने सोचा, “यदि मैं रूत से विवाह करूँगा, तो मेरी अपनी संपत्ति भी उसके होने वाले पुत्र के नाम हो जाएगी।” अतः उसने बोअज़ से कहा, “मैं अपना अधिकार छोड़ देता हूँ। तुम ही इसे ग्रहण करो।”

उन दिनों की प्रथा के अनुसार, उसने अपना जूता उतारकर बोअज़ को दे दिया, जो छुटकारे के लेन-देन का प्रतीक था। बोअज़ ने बुजुर्गों और सभी उपस्थित लोगों की ओर मुड़कर कहा, “आप लोग आज के साक्षी हैं कि मैंने नाओमी से और एलीमेलेक व किल्योन से जो कुछ भी था, सब खरीद लिया है। साथ ही, मैं मोआबी रूत को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करता हूँ, ताकि मृतक का नाम उसकी भूमि पर बना रहे।”

सभी लोगों ने आशीर्वाद दिया, “हम साक्षी हैं। यहोवा तुम्हें आशीष दे, और तुम्हारा घर इस्राएल के घराने में फले-फूले!”

बोअज़ ने रूत से विवाह किया, और यहोवा ने उसे गर्भ धारण करने का आशीर्वाद दिया। समय आने पर उसने एक पुत्र को जन्म दिया। नाओमी, जिसका जीवन कड़वाहट से भर गया था, अब आनंद से भर उठी। नगर की स्त्रियों ने कहा, “धन्य है यहोवा, जिसने तुझे आज छुड़ाने वाले का अभाव नहीं रहने दिया! इस बालक से तेरा जीवन फिर से सुखद होगा, और वह तेरी बुढ़ापे का सहारा बनेगा।”

नाओमी ने बच्चे को गोद में लिया और उसका पालन-पोषण किया। उस बालक का नाम ओबेद रखा गया, जो यिशै का पिता बना, और यिशै दाऊद का पिता हुआ। इस प्रकार, रूत की वफादारी और बोअज़ की धार्मिकता ने इस्राएल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ा, और दाऊद के वंश से होकर, यीशु मसीह तक की वंशावली पहुँची।

यहोवा की योजना सदैव पूर्ण होती है, और उसकी करुणा उन पर बनी रहती है, जो उस पर भरोसा रखते हैं।

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