**कहानी: अय्यूब 24 – अन्याय के दिनों में परमेश्वर की सुनवाई**
एक समय की बात है, जब अय्यूब अपने दुखों के बीच बैठकर परमेश्वर से प्रश्न कर रहा था। उसने देखा कि संसार में अनेक लोग अन्याय से पीड़ित हैं, परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि परमेश्वर उनकी पुकार को तुरंत नहीं सुनता। अय्यूब के मन में यह विचार उठा, और उसने अपने हृदय की वेदना को शब्दों में ढाला।
### **अन्यायी का उत्पीड़न**
अय्यूब ने कहा, “क्यों सर्वशक्तिमान परमेश्वर दुष्टों के लिए दण्ड का समय नियुक्त नहीं करता? क्यों वे लोग जो उसकी परवाह नहीं करते, निर्भय होकर पृथ्वी पर घूमते हैं?”
उसने देखा कि कुछ दुष्ट लोग सीमाओं को हटा देते हैं, गरीबों के खेतों को जबरदस्ती हड़प लेते हैं। वे विधवाओं की भेड़-बकरियाँ चुरा लेते हैं और अनाथों के बैलों को बाँधकर ले जाते हैं। गरीबों को उनके कपड़ों से वंचित कर देते हैं, जिससे वे नंगे होकर ठंड में काँपते हैं। वे भूखे बच्चों को खेतों में काम करने के लिए मजबूर करते हैं, और जब वे जैतून के बागों से तेल निचोड़ते हैं, तो उन्हें अपनी मेहनत का फल नहीं मिलता।
शहरों में, दरिद्र लोगों को प्यास लगी होती है, परन्तु दुष्ट उनके लिए पानी रोक लेते हैं। बच्चे भूख से चिल्लाते हैं, परन्तु कोई उनकी सुनवाई नहीं करता। रात के अंधेरे में, हत्यारे और चोर अपना काम करते हैं। वे अंधेरे को अपना मित्र समझते हैं, क्योंकि उस समय कोई उन्हें देख नहीं सकता।
### **परमेश्वर की दृष्टि में सब कुछ**
परन्तु अय्यूब जानता था कि परमेश्वर की आँखें सब कुछ देखती हैं। वह बोला, “दुष्ट लोग सोचते हैं कि उनके कर्म छिपे हुए हैं, परन्तु परमेश्वर उनकी हर चाल को जानता है। वह उनके पापों को नोट करता है, भले ही वे समय के अंधकार में छिप जाएँ।”
अय्यूब ने कहा, “कुछ लोग सुबह के उजाले से डरते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि उनके काले कार्य प्रकट हो जाएँगे। परन्तु फिर भी, वे अपने रास्ते नहीं बदलते। वे परमेश्वर को नहीं पहचानते, न ही उसके मार्गों पर चलते हैं।”
### **दीन-दुखियों की पुकार**
फिर अय्यूब ने उन लोगों के बारे में सोचा जो अन्याय सहते हैं। वे मजदूर जो खेतों में काम करते हैं, परन्तु मजदूरी नहीं पाते। वे विधवाएँ जिनके पास रोटी नहीं है, और अनाथ जिनका कोई सहारा नहीं। वे लोग जो बीमार हैं, परन्तु कोई उनकी देखभाल नहीं करता।
अय्यूब ने कहा, “ये सब परमेश्वर की ओर रोते हैं, परन्तु कभी-कभी ऐसा लगता है कि उसने उनकी आवाज़ नहीं सुनी। परन्तु मैं जानता हूँ कि परमेश्वर न्यायी है। वह उनकी पीड़ा को देखता है, और एक दिन वह सब कुछ ठीक करेगा।”
### **अन्त में न्याय**
अय्यूब ने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा, “दुष्ट फलते-फूलते दिखाई देते हैं, परन्तु उनका अन्त नाश है। जैसे फसल कट जाती है, वैसे ही उनका जीवन भी समाप्त होगा। वे अपने पापों के बोझ तले दब जाएँगे, और परमेश्वर उन्हें उनके कर्मों का फल देगा।”
“परन्तु जो नम्र हैं, जो दीन-हीन हैं, परमेश्वर उन्हें उठाएगा। वह उनके आँसू पोंछेगा और उन्हें शान्ति देगा। हाँ, भले ही अब अन्याय का अंधकार छाया हुआ है, परन्तु सत्य और धर्म का सूर्य अवश्य प्रकट होगा।”
इस प्रकार, अय्यूब ने अपने विश्वास को दृढ़ रखा, यह जानते हुए कि परमेश्वर का न्याय सही समय पर आएगा। उसने समझा कि मनुष्य की दृष्टि सीमित है, परन्तु परमेश्वर सब कुछ देखता है और उसकी योजना पूर्णतः न्यायपूर्ण है।