पवित्र बाइबल

भजन 78 परमेश्वर की महिमा और इस्राएल की कहानी

**भजन संहिता 78 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**

**प्रस्तावना: परमेश्वर की महिमा और उसकी शिक्षाएँ**

प्राचीन काल में, इस्राएल के लोगों के बीच परमेश्वर के महान कार्यों की गाथाएँ गूँजती थीं। ये कहानियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाई जाती थीं, ताकि कोई भी उसकी अद्भुत सामर्थ्य और करुणा को न भूल पाए। भजनकार ने भजन 78 में इन्हीं घटनाओं को स्मरण किया है—एक ऐसा गीत जो परमेश्वर की विश्वासयोग्यता और मनुष्यों के अविश्वास के बीच के संघर्ष को दर्शाता है।

### **भाग 1: मिस्र से छुटकारे की कहानी**

मिस्र देश में इस्राएली गुलामी की जंजीरों में जकड़े हुए थे। उनकी कराह सुनकर, परमेश्वर ने मूसा को भेजा और अद्भुत चमत्कारों के द्वारा फिरौन के हृदय को कठोर होने दिया। नील नदी का जल लहू बन गया, मेंढकों ने समस्त भूमि को घेर लिया, और अंधकार का भयानक आवरण तीन दिनों तक छाया रहा। फिर भी, फिरौन ने उन्हें जाने नहीं दिया।

अंत में, परमेश्वर ने एक भीषण विपत्ति भेजी—हर पहलौठे की मृत्यु। किंतु जिन इस्राएलियों ने मेमने का लहू अपने द्वारों पर लगाया, वे सुरक्षित रहे। इसी रात, फिरौन ने हार मान ली, और इस्राएली मिस्र से निकल पड़े।

समुद्र के किनारे खड़े होकर, जब फिरौन की सेना ने उनका पीछा किया, तो परमेश्वर ने लाल सागर को दो भागों में चीर दिया। इस्राएली सूखी भूमि पर चलकर पार हो गए, किंतु मिस्रियों को जल ने डुबो दिया।

### **भाग 2: जंगल में परीक्षा और प्रावधान**

जंगल में, इस्राएलियों ने भूख और प्यास से तड़पते हुए परमेश्वर पर शिकायत की। “क्या वह हमें मरुभूमि में मारने के लिए लाया है?” वे चिल्लाए। किंतु परमेश्वर ने उनकी आवाज सुनी। उसने आकाश से मन्ना बरसाया—एक अद्भुत रोटी जो प्रतिदिन सुबह जमीन पर ओस के साथ आती थी। शाम को, वह बटेरों के झुंड भेजता, ताकि वे मांस खा सकें।

फिर भी, जब उन्हें प्यास लगी, तो उन्होंने फिर विद्रोह किया। मूसा ने परमेश्वर की आज्ञा से चट्टान पर मारा, और उसमें से जल की धाराएँ फूट निकलीं। परमेश्वर ने उनकी हर आवश्यकता पूरी की, किंतु वे फिर भी असंतुष्ट रहे।

### **भाग 3: विद्रोह और परमेश्वर का न्याय**

बार-बार, इस्राएलियों ने परमेश्वर को छोड़कर अन्य देवताओं की पूजा की। उन्होंने कनान देश में प्रवेश करने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे दैत्यों जैसे लोगों से डर गए। परमेश्वर ने कहा था कि वह उनके साथ होगा, किंतु उन्होंने विश्वास नहीं किया।

अतः, परमेश्वर ने उन्हें चालीस वर्षों तक जंगल में भटकने दिया, जब तक कि अविश्वासी पीढ़ी नष्ट नहीं हो गई। किंतु उसकी दया समाप्त नहीं हुई। उसने यहोशू और कालेब जैसे विश्वासियों को जीवित रखा, और अंततः नई पीढ़ी को वादा किए हुए देश में प्रवेश करने दिया।

### **भाग 4: दाऊद का चुनाव और परमेश्वर की विश्वासयोग्यता**

समय बीतने के साथ, इस्राएल ने फिर से पाप किया। वे परमेश्वर के स्थान पर मनुष्यों के राजाओं पर भरोसा करने लगे। किंतु परमेश्वर ने दाऊद को चुना—एक चरवाहे को जिसका हृदय उसके अनुकूल था। दाऊद के द्वारा, परमेश्वर ने अपने लोगों को एक सच्चा चरवाहा दिया, जो उन्हें धर्म की राह पर ले जाएगा।

### **निष्कर्ष: स्मरण करो और विश्वास करो**

भजन 78 हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर की महान कार्यों को कभी नहीं भूलना चाहिए। उसने हमें छुड़ाया, हमारी देखभाल की, और हमारे पापों को सहा भी। किंतु जब हम विद्रोह करते हैं, तो वह न्याय भी करता है। फिर भी, उसकी करुणा अनंत है।

आज भी, वह चाहता है कि हम उस पर भरोसा रखें, उसकी आज्ञाओं का पालन करें, और उसकी कहानियों को अगली पीढ़ियों तक पहुँचाएँ। क्योंकि परमेश्वर वही है—कल, आज और युगानुयुग।

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