**बुद्धिमान की सीख और मूर्ख की गिरावट**
एक समय की बात है, यहूदा के एक छोटे से गाँव में दो पड़ोसी रहते थे—एलिय्याह और रहाब। एलिय्याह परमेश्वर से डरने वाला और बुद्धिमान व्यक्ति था, जबकि रहाब अहंकारी और आलसी था। उनकी कहानी नीतिवचन 24 के सिद्धांतों को जीवंत करती है।
### **बुद्धिमान का घर बनाना**
एक दिन, एलिय्याह ने अपने परिवार के लिए एक नया घर बनाने का निर्णय लिया। वह जानता था कि “बुद्धिमानी से घर बनाया जाता है, और समझ से उसकी नींव डाली जाती है” (नीतिवचन 24:3)। उसने पहले योजना बनाई, मजबूत पत्थरों को चुना, और धैर्यपूर्वक नींव खोदी। उसके बेटे ने पूछा, “पिताजी, इतनी मेहनत क्यों? क्या हम जल्दी से घर नहीं बना सकते?”
एलिय्याह ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, जो व्यक्ति बिना योजना के काम करता है, उसका घर ढह जाता है। परमेश्वर ने हमें बुद्धि दी है ताकि हम सही निर्णय लें।” वह प्रतिदिन प्रार्थना करता और परमेश्वर से मार्गदर्शन माँगता।
### **मूर्ख की लापरवाही**
दूसरी ओर, रहाब ने भी घर बनाने का सोचा, लेकिन वह आलसी और जल्दबाज़ था। उसने मिट्टी की दीवारें खड़ी कर दीं और छप्पर डालकर कहा, “क्या फर्क पड़ता है? मैं तो बस रहने के लिए जगह चाहता हूँ!” उसके दोस्तों ने चेतावनी दी, “अगर बारिश आई तो तुम्हारा घर बह जाएगा!” लेकिन रहाब हँसता रहा।
### **परीक्षा का समय**
कुछ महीनों बाद, भारी बारिश शुरू हो गई। एलिय्याह का घर, जो पत्थरों से बना था, मजबूती से खड़ा रहा। उसका परिवार सुरक्षित था। लेकिन रहाब का घर, जो मिट्टी और घास-फूस से बना था, पानी के बहाव में बह गया। वह रोता हुआ बाहर भागा और एलिय्याह के दरवाजे पर दस्तक दी।
एलिय्याह ने उसे अंदर बुलाया और कहा, “दोस्त, मैंने तुम्हें चेतावनी दी थी। नीतिवचन 24:10 कहता है—’यदि तू विपत्ति के दिन हियाव छोड़ दे, तो तेरी शक्ति थोड़ी है।’ तुमने परिश्रम से भागकर अपना नुकसान किया।”
### **सीख और पुनर्निर्माण**
रहाब ने अपनी गलती स्वीकार की और एलिय्याह से बुद्धिमानी सीखने का निर्णय लिया। दोनों ने मिलकर नया घर बनाया, इस बार मजबूत नींव के साथ। गाँव वालों ने देखा कि “सात बार धर्मी गिरता है, और उठ खड़ा होता है, परन्तु दुष्ट विपत्ति में गिरकर नष्ट हो जाते हैं” (नीतिवचन 24:16)।
एलिय्याह ने सभा में लोगों को समझाया, “हमें बुराई से नफरत करनी चाहिए (नीतिवचन 24:1), क्योंकि परमेश्वर हर कार्य को देखता है। जो दीनों की रक्षा करता है, वह आशीष पाता है।”
### **अंतिम चेतावनी**
कहानी का अंत एक गहरी सीख के साथ होता है। जब एक अमीर व्यक्ति ने गरीबों का शोषण करना शुरू किया, तो एलिय्याह ने उसे याद दिलाया, “जो दुर्बल को घात में देखकर भी अनदेखा करता है, उसकी आशा नष्ट हो जाएगी” (नीतिवचन 24:12)। परमेश्वर न्यायी है, और वह हर अन्याय का हिसाब लेगा।
इस प्रकार, गाँव वालों ने समझा कि बुद्धिमानी और धैर्य से काम लेना ही सफलता की कुंजी है। एलिय्याह की विरासत उसके बच्चों ने आगे बढ़ाई, जबकि रहाब ने अपनी जिंदगी बदलकर परमेश्वर के मार्ग पर चलना शुरू किया।
**शिक्षा:** नीतिवचन 24 हमें सिखाता है कि बुद्धिमानी, न्याय और परिश्रम से जीवन बनता है। मूर्खता और आलस्य विनाश लाते हैं, लेकिन परमेश्वर पर भरोसा रखने वाला कभी नहीं डगमगाता।