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खोए हुए इज़राइल की वापसी: यिर्मयाह की कहानी

**यिर्मयाह 3: खोए हुए इज़राइल की वापसी की कहानी**

उन दिनों की बात है जब यहूदा के राज्य में यिर्मयाह नबी परमेश्वर का वचन सुनाते थे। वह समय ऐसा था जब लोगों ने परमेश्वर को छोड़कर अन्य देवताओं की पूजा शुरू कर दी थी। यहोवा का हृदय दुख से भर गया था, क्योंकि उसकी प्रजा, जिसे उसने अपनी पत्नी के समान प्यार किया था, अब दूसरों के पीछे भाग रही थी।

यिर्मयाह ने परमेश्वर का संदेश सुनाया: **”यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी को त्याग दे और वह उससे अलग होकर किसी दूसरे पुरुष की हो जाए, तो क्या वह उसके पास फिर लौट सकती है? क्या वह देश पूरी तरह अशुद्ध नहीं हो जाएगा?”** (यिर्मयाह 3:1)। परमेश्वर ने इज़राइल और यहूदा को ऐसी ही अविश्वासी पत्नियों के समान बताया, जिन्होंने उसे छोड़कर बाल देवताओं की पूजा की थी।

### **इज़राइल का विश्वासघात**

परमेश्वर ने यिर्मयाह से कहा, **”ऊँचे पहाड़ों पर जाकर देख, क्या तू कहीं भी ऐसी जगह पाएगा जहाँ तूने व्यभिचार न किया हो? तू सड़कों के किनारे बैठकर परदेशियों की प्रतीक्षा करती थी, जैसे अरब के लोग जंगल में छिपकर यात्रियों को लूटते हैं”** (यिर्मयाह 3:2)। इज़राइल ने अपने प्रभु को धोखा दिया था। वह हर हरे-भरे पेड़ के नीचे मूर्तियों के सामने झुकती थी और बलिदान चढ़ाती थी। उसने परमेश्वर की आज्ञाओं को ताक पर रख दिया था।

यहोवा ने उसे चेतावनी दी, **”मैंने तुझे वर्षा दी, तुझे उपजाऊ भूमि दी, पर तूने कहा, ‘मैं नहीं लौटूँगी!’ तूने वेश्या की तरह अपना माथा ऊँचा किया और लज्जा से इन्कार किया”** (यिर्मयाह 3:3)। फिर भी, परमेश्वर की दया समाप्त नहीं हुई थी।

### **यहूदा की अधिक बुराई**

यिर्मयाह ने देखा कि इज़राइल (उत्तरी राज्य) ने तो विश्वासघात किया था, पर यहूदा (दक्षिणी राज्य) ने उससे भी बड़ा पाप किया। **”विश्वासघातिनी इज़राइल ने अपने आप को धर्मी दिखाया है, पर यहूदा ने कोई सबक नहीं सीखा। वह झूठे दिल से मेरे पास लौटा और मुझे धोखा दिया”** (यिर्मयाह 3:10-11)।

यहूदा के लोग मंदिर में जाते, पर उनके हृदय दूर थे। वे बाहर से धर्मी दिखते, पर अंदर से भ्रष्ट थे। परमेश्वर ने कहा, **”तूने अपने कर्मों से अपनी दुष्टता सिद्ध कर दी है। तूने कठोर हृदय से मेरी बात नहीं मानी”**।

### **वापसी का निमंत्रण**

फिर भी, परमेश्वर की करुणा अद्भुत थी। उसने इज़राइल से कहा: **”हे विश्वासघातिनी इज़राइल, लौट आ! मैं तुम पर क्रोधित नहीं रहूँगा, क्योंकि मैं दयालु हूँ। मैं सदा के लिए क्रोध नहीं रखता”** (यिर्मयाह 3:12)। उसने उन्हें पश्चाताप करने और वापस आने का मौका दिया।

**”तुम्हारे पाप रक्त-लाल हैं, पर वे हिम के समान श्वेत हो जाएँगे। यदि तुम वास्तव में मेरी ओर लौटो, तो मैं तुम्हें फिर से अपनी प्रजा बनाऊँगा”**। परमेश्वर ने उन्हें सिय्योन की पहाड़ी पर बुलाया, जहाँ वह उनके साथ नया वाचा बनाना चाहता था।

### **एक नई शुरुआत का वादा**

यिर्मयाह ने भविष्य की आशा की घोषणा की: **”उन दिनों तुम मेरे लिए एक सच्चे हृदय से पुकारोगे, और मैं तुम्हारी सुनूँगा। तुम फिर से मेरे पास आओगे और मैं तुम्हें वापस ले आऊँगा”** (यिर्मयाह 3:22-23)। परमेश्वर ने वादा किया कि वह उनके हृदयों को बदल देगा और उन्हें सच्ची आराधना करने देगा।

**”मैं तुम्हारे बीच अच्छे चरवाहे भेजूँगा जो तुम्हें ज्ञान और समझ देंगे। तुम फिर से एकजुट होगे, और तुम्हारी संतानें सच्चाई के मार्ग पर चलेंगी”**।

### **निष्कर्ष: प्रेम की जीत**

यिर्मयाह की यह कहानी दिखाती है कि पाप के बावजूद, परमेश्वर का प्रेम अटल है। वह चाहता है कि उसके बच्चे पश्चाताप करें और उसकी ओर लौटें। जैसे एक पति अपनी भटकी हुई पत्नी को माफ कर देता है, वैसे ही परमेश्वर भी हमें गले लगाने के लिए तैयार है।

**”हे इज़राइल, लौट आ, तेरे परमेश्वर यहोवा के पास, क्योंकि तेरे अधर्म के कारण तू गिर गया है”** (यिर्मयाह 3:12-14)। यही सन्देश आज भी हमारे लिए है—चाहे हम कितने भी दूर क्यों न चले गए हों, परमेश्वर हमें वापस बुला रहा है।

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