पवित्र बाइबल

एजेकील का दर्शन पवित्र मंदिर के कक्षों का

**एजेकील 42: पवित्र भवन के कक्षों का वर्णन**

पवित्र नगर यरूशलेम में, भविष्यद्वक्ता एजेकील परमेश्वर के आत्मा से भरपूर थे। उन्होंने एक अद्भुत दर्शन देखा—एक स्वर्गीय दूत उन्हें एक ऊँचे पर्वत पर ले गया, जहाँ एक विशाल और पवित्र मंदिर खड़ा था। यह मंदिर परमेश्वर की महिमा से भरा हुआ था, और उसकी हर संरचना दिव्य योजना के अनुसार बनी थी।

दूत ने एजेकील को उत्तरी भाग की ओर ले जाया और कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, यहाँ पवित्र भवन के कक्ष हैं, जहाँ याजक परमेश्वर के सामने पवित्र भेंटों को खाएँगे और पवित्र वस्त्रों को रखेंगे। ये कक्ष पवित्र स्थान और बाहरी आँगन के बीच स्थित हैं।”

एजेकील ने ध्यान से देखा—तीन मंजिलों वाली एक लम्बी इमारत थी, जिसमें अनेक कक्ष बने हुए थे। प्रत्येक कक्ष साधारण नहीं था, बल्कि उसकी दीवारें मोटी और सुदृढ़ थीं, जो पवित्रता और सुरक्षा का प्रतीक थीं। कक्षों के बीच में एक संकरा रास्ता था, जो दस हाथ चौड़ा था, और प्रत्येक कक्ष का द्वार उत्तर की ओर खुलता था।

दूत ने समझाया, “निचली मंजिल के कक्ष सबसे चौड़े हैं, मध्यम मंजिल के थोड़े संकरे, और सबसे ऊपरी मंजिल के सबसे छोटे। यह इसलिए किया गया है ताकि भवन का ढाँचा स्थिर रहे और कक्षों को अलग-अलग मंजिलों पर जगह मिल सके।”

एजेकील ने देखा कि पूर्वी ओर भी एक समान इमारत थी, जो पवित्र आँगन के सामने स्थित थी। दूत ने कहा, “ये कक्ष उन याजकों के लिए हैं जो परमेश्वर की सेवा करते हैं। यहाँ वे सबसे पवित्र भेंटों को खाएँगे—अन्नबलि, पापबलि, और अपराधबलि। यह स्थान पवित्र है, और कोई भी साधारण व्यक्ति यहाँ प्रवेश नहीं कर सकता।”

फिर दूत ने एजेकील को दक्षिणी ओर ले जाकर एक और इमारत दिखाई, जो ठीक उत्तरी और पूर्वी कक्षों के समान थी। उसने कहा, “इन कक्षों का उद्देश्य भी वही है—याजकों के लिए पवित्र स्थान। यहाँ वे परमेश्वर के नियमों के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे।”

एजेकील ने पूछा, “ये कक्ष कितने बड़े हैं?”

दूत ने उत्तर दिया, “प्रत्येक कक्ष की लम्बाई सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ, और ऊँचाई तीस हाथ है। इनके बीच की दीवारें पाँच हाथ मोटी हैं, ताकि पवित्रता और सुरक्षा बनी रहे।”

फिर दूत ने एजेकील को बाहरी आँगन की ओर ले जाया और पश्चिमी ओर एक बड़ा भवन दिखाया। उसने कहा, “यह भवन याजकों के लिए है, जहाँ वे अपने वस्त्र बदलेंगे। पवित्र सेवा करने से पहले, वे यहाँ साधारण वस्त्र उतारकर पवित्र वस्त्र धारण करेंगे, क्योंकि ये वस्त्र पवित्र आँगन में पहनने के योग्य हैं। सेवा समाप्त होने के बाद, वे फिर से यहाँ आकर उन्हें उतार देंगे, ताकि पवित्र वस्त्रों का कोई दुरुपयोग न हो।”

एजेकील ने सब कुछ ध्यान से देखा और समझा कि परमेश्वर का मंदिर हर छोटी-बड़ी बात में पूर्णतः पवित्र और व्यवस्थित है। दूत ने अंत में कहा, “यह सब मैंने तुझे दिखाया है, ताकि तू इस्राएल के लोगों को बता सके कि परमेश्वर की पवित्रता कितनी महत्वपूर्ण है। याजकों को अपने कर्तव्यों का पालन पूरी शुद्धता और ईमानदारी से करना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर हर छोटी से छोटी बात को देखता है।”

इस प्रकार, एजेकील ने परमेश्वर के मंदिर की पवित्र योजना को अपनी आँखों से देखा और उसकी महिमा का वर्णन किया, ताकि सभी लोग जान सकें कि परमेश्वर की उपस्थिति में सब कुछ पवित्र और सिद्ध होना चाहिए।

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