**एक विस्तृत कहानी: लूका 12**
प्रभु यीशु के चारों ओर हजारों लोग इकट्ठे हो गए थे। उस समय वह गलील की झील के किनारे अपने शिष्यों को शिक्षा दे रहे थे। लोग इतनी भीड़ में आए थे कि एक-दूसरे पर गिरने लगे। तब यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “सावधान रहो, फरीसियों के खमीर से, जो कपट है।”
उनके शब्दों में गहरी चेतावनी थी। वह चाहते थे कि उनके अनुयायी धार्मिक दिखावे से दूर रहें और सच्चे हृदय से परमेश्वर की आराधना करें। फिर उन्होंने कहा, “ऐसा कुछ भी नहीं है जो छिपा होगा और प्रकट न किया जाएगा। जो अंधेरे में कहा गया है, वह उजाले में सुना जाएगा, और जो कानों में फुसफुसाया गया है, वह छतों पर प्रचार किया जाएगा।”
यीशु का संदेश स्पष्ट था—परमेश्वर सब कुछ देखता है। कोई भी गुप्त पाप उसकी दृष्टि से छिपा नहीं रह सकता। इसलिए, उन्होंने अपने शिष्यों को सच्चाई के साथ जीने के लिए प्रोत्साहित किया।
तभी भीड़ में से एक व्यक्ति बोला, “हे गुरु, मेरे भाई से कहो कि वह पिता की संपत्ति मेरे साथ बाँट दे।” परंतु यीशु ने उत्तर दिया, “हे मनुष्य, किसने मुझे तुम पर न्यायी या बाँटने वाला ठहराया है?” फिर उन्होंने सभी से कहा, “सावधान रहो और सभी प्रकार के लोभ से बचो, क्योंकि मनुष्य का जीवन उसकी संपत्ति की बहुलता में नहीं होता।”
इसके बाद यीशु ने एक दृष्टांत सुनाया: “एक धनी मनुष्य के खेत में बहुत फसल हुई। वह सोचने लगा, ‘मैं क्या करूँ? मेरे पास तो इतनी फसल रखने की जगह नहीं है।’ फिर उसने कहा, ‘मैं यह करूँगा—मैं अपने खलिहानों को गिरा दूँगा और बड़े बनाऊँगा, और वहाँ अपना सारा अनाज और संपत्ति रखूँगा। फिर मैं अपने प्राण से कहूँगा, प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिए भोजन इकट्ठा है; आराम कर, खा, पी और मौज कर।’ परंतु परमेश्वर ने उससे कहा, ‘हे मूर्ख, आज रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा, और जो तू ने इकट्ठा किया है, वह किसका होगा?'”
यीशु ने समझाया, “जो कोई अपने लिए धन इकट्ठा करता है, पर परमेश्वर के प्रति धनी नहीं है, वह ऐसा ही है।”
फिर उन्होंने अपने शिष्यों की ओर देखकर कहा, “इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ, अपने प्राण के लिए चिंता मत करो कि तुम क्या खाओगे, न ही अपने शरीर के लिए कि क्या पहनोगे। प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर है। कौवों को देखो—वे न बोते हैं, न काटते हैं, न कोठार रखते हैं, फिर भी परमेश्वर उन्हें खिलाता है। तुम उनसे कहीं अधिक मूल्यवान हो! तुम में से कौन चिंता करके अपनी आयु में एक घड़ी भी बढ़ा सकता है? यदि तुम छोटी-छोटी बातों में विश्वास नहीं कर सकते, तो बड़ी बातों के लिए क्यों चिंता करते हो?”
यीशु ने आगे कहा, “तुम परमेश्वर के राज्य की खोज करो, और ये सब वस्तुएँ तुम्हें दी जाएँगी। हे छोटे झुंड, डरो मत, क्योंकि तुम्हारे पिता को तुम्हें राज्य देने में प्रसन्नता हुई है। अपनी संपत्ति बेचो और दान दो; अपने लिए ऐसे थैले बनाओ जो पुराने न हों, स्वर्ग में एक अटूट कोष, जहाँ चोर नहीं पहुँचते और कीड़े नहीं नष्ट करते। क्योंकि जहाँ तुम्हारा धन है, वहीं तुम्हारा मन भी होगा।”
अंत में, यीशु ने अपने शिष्यों से कहा, “तुम तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विषय में तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा।”
इस प्रकार, प्रभु यीशु ने लोगों को सच्ची संपत्ति—स्वर्ग का धन—और परमेश्वर पर भरोसा रखने की शिक्षा दी। उन्होंने चेतावनी दी कि दिखावे की धार्मिकता और लोभ से बचें, क्योंकि परमेश्वर हर मन की जाँच करता है। उनका संदेश स्पष्ट था: “परमेश्वर के राज्य की खोज करो, और वह तुम्हारी सभी आवश्यकताओं को पूरा करेगा।”