रात्रि की पवित्र आराधना भजन संहिता 134 (Note: The title is within 100 characters, symbols and quotes are removed as per instructions.)
**भजन संहिता 134: एक रात्रि की आराधना**
वह एक शांत और तारों से भरी रात थी। यरूशलेम नगर धीरे-धीरे निद्रा की गोद में समा रहा था, परन्तु परमेश्वर के मन्दिर में अभी भी ज्योति जगमगा रही थी। याजक और लेवीय, जो रात्रि की पहरेदारी के लिए नियुक्त थे, धीमे स्वर में भजन गा रहे थे। उनके हृदय में परमेश्वर के प्रति अगाध श्रद्धा और भक्ति भरी हुई थी।
भजन संहिता का 134वाँ अध्याय उसी पवित्र क्षण का वर्णन करता है। यह एक छोटा सा भजन है, परन्तु इसका अर्थ गहरा और प्रेरणादायक है। यह उन भक्तों का आह्वान है जो रात के समय में भी परमेश्वर की स्तुति करते हैं।
### **मन्दिर की रात्रि**
मन्दिर के प्रांगण में दीपकों की मंद रोशनी फैली हुई थी। बाहर का संसार सो चुका था, परन्तु यहाँ परमेश्वर की उपस्थिति स्पष्ट महसूस हो रही थी। याजकों ने अपने हाथ उठाए और ऊँचे स्वर में प्रार्थना की:
**”देखो, यहोवा की स्तुति करो, हे सब सेवकों, जो रात को यहोवा के भवन में खड़े रहते हो!”** (भजन 134:1)
उनकी आवाज़ गूँजती हुई पवित्र स्थान की दीवारों से टकरा रही थी। वे जानते थे कि परमेश्वर सुन रहा है। रात के इस निस्तब्ध समय में भी उसकी आराधना बंद नहीं होनी चाहिए।
### **आशीष का आह्वान**
फिर, एक वरिष्ठ याजक ने अपना मुख स्वर्ग की ओर किया और उसने सबके लिए आशीष की प्रार्थना की:
**”हे सिय्योन के यहोवा, तू आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, अपने हाथ उठाकर हमें आशीष दे!”** (भजन 134:2-3 का भाव)
उसकी प्रार्थना के साथ ही सभी लेवीयों ने “आमेन” कहा। ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से कोई दिव्य प्रकाश उतरकर उन पर छा गया हो। उन्हें विश्वास था कि परमेश्वर उनकी भक्ति से प्रसन्न है और वह उन पर अपनी कृपा बरसाएगा।
### **एक भक्त की कहानी**
उसी रात, मन्दिर के बाहर एक युवक खड़ा था। उसका नाम एलीशाफ़ था। वह एक साधारण चरवाहा था, परन्तु उसका हृदय परमेश्वर के प्रति गहरी लगन रखता था। जब उसने याजकों के भजन सुने, तो उसकी आँखों में आँसू आ गए। वह धीरे से मन्दिर के द्वार पर गया और झुककर प्रार्थना करने लगा।
“हे यहोवा,” उसने कहा, “मैं तेरा दास हूँ। मेरे जीवन को भी आशीषित कर, जैसे तू इन पवित्र सेवकों को आशीष देता है।”
तभी एक याजक ने उसे देखा और पास आकर उसके सिर पर हाथ रखा। “पुत्र,” याजक ने कहा, “यहोवा तेरी प्रार्थना सुनता है। जो उसकी आराधना रात-दिन करते हैं, वह उन्हें कभी नहीं भूलता।”
### **प्रभु की प्रतिज्ञा**
उस रात एलीशाफ़ को एक नई शक्ति मिली। वह जान गया कि परमेश्वर की आराधना कभी व्यर्थ नहीं जाती। चाहे रात हो या दिन, परमेश्वर अपने भक्तों की वाणी सुनता है और उन्हें आशीष देता है।
भजन संहिता 134 का यह सन्देश आज भी हमें प्रेरणा देता है कि हम सदैव परमेश्वर की स्तुति करें, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों। जो उसे पुकारते हैं, वह उनकी सुनता है और उन पर अपनी असीम कृपा बरसाता है।
**”यहोवा तुम्हें सिय्योन से आशीष दे, वह जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है!”** (भजन 134:3)