पवित्र बाइबल

1 पतरस 5: चरवाहों और भेड़ों की प्रेरणादायक कहानी

**1 पतरस 5 पर आधारित बाइबल कहानी: “चरवाहे और भेड़ें”**

उस समय जब प्रेरित पतरस ने मसीही विश्वासियों को पत्र लिखा, रोमी साम्राज्य में सताव तेजी से बढ़ रहा था। कलीसिया के लोग डर और चिंता से घिरे हुए थे। ऐसे में, पतरस ने उन्हें सांत्वना और साहस देने के लिए यह पत्र लिखा, विशेषकर उन प्राचीनों (नेताओं) के लिए जो परमेश्वर की भेड़ों की देखभाल कर रहे थे।

### **चरवाहों की जिम्मेदारी**

एक छोटी-सी पहाड़ी की ढलान पर, एक गाँव बसा था जहाँ कलीसिया के कुछ प्राचीन इकट्ठे हुए थे। उनमें से एक बुजुर्ग, एपाफ्रास, जो कई वर्षों से मसीह की सेवा कर रहा था, ने पतरस के पत्र को सुनकर गहरी सांस ली। पत्र में लिखा था:

*”हे कलीसिया के प्राचीनों, मैं तुम्हें, जो स्वयं भी प्राचीन हूँ और मसीह के दुखों का सहभागी हूँ, विनती करता हूँ कि तुम परमेश्वर की उस भेड़-बकरी के झुंड की रखवाली करो जो तुम्हारे बीच है… न लोभ से, परन्तु खुशी से; न गलत ढंग से प्रभुता करने के लिए, परन्तु झुंड के उदाहरण बनकर।”* (1 पतरस 5:1-3)

एपाफ्रास ने अपनी आँखें बंद कर लीं और प्रार्थना की। उसे याद आया कि कैसे यीशु ने पतरस से कहा था, *”मेरी भेड़ों को चरा”* (यूहन्ना 21:16)। अब वह समझ गया कि यह कोई साधारण काम नहीं था। एक चरवाहे का जीवन त्याग और सेवा से भरा होता था।

### **विनम्रता का मार्ग**

पत्र आगे कहता था: *”हे नवयुवकों, तुम प्राचीनों के आधीन रहो; वरन् तुम सब के सब एक दूसरे के आधीन रहो, और दीनता का वस्त्र पहिने रहो, क्योंकि परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है, परन्तु दीनों पर अनुग्रह करता है।”* (1 पतरस 5:5)

गाँव की एक युवती, लीदिया, जो हाल ही में मसीह में आई थी, ने ये शब्द सुने। उसके मन में अक्सर अपने विश्वास के लिए डर उठता था। लेकिन पतरस के शब्दों ने उसे बताया कि परमेश्वर उसकी विनम्रता को देखता है। वह रोमी सैनिकों के डर से नहीं, बल्कि परमेश्वर की महिमा के लिए जीने का निश्चय करने लगी।

### **शैतान के विरुद्ध सतर्कता**

पत्र में चेतावनी भी थी: *”सचेत रहो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किस को फाड़ खाए।”* (1 पतरस 5:8)

एक रात, जब कलीसिया के लोग गुप्त स्थान पर इकट्ठे हुए थे, तो उन्हें पता चला कि रोमी सैनिक उनकी तलाश कर रहे थे। डर के कारण कुछ लोग भागने लगे, लेकिन एपाफ्रास ने उन्हें रोका। उसने पतरस के शब्दों को दोहराया: *”उस विश्वास में दृढ़ रहो, यह जानते हुए कि तुम्हारे भाई संसार में ऐसे ही दुख उठा रहे हैं।”* (1 पतरस 5:9)

उस रात, उन्होंने एक दूसरे को प्रोत्साहित किया और प्रार्थना में लगे रहे। उनका विश्वास और भी मजबूत हो गया।

### **अंतिम आशीष**

पत्र के अंत में पतरस ने लिखा: *”परमेश्वर, जिसने तुम्हें अपनी अनन्त महिमा के लिए मसीह में बुलाया है, वही तुम्हें थोड़े दुख उठाने के बाद सिद्ध करेगा, दृढ़ करेगा, बलवान् करेगा और अपनी नींव पर टिकाएगा।”* (1 पतरस 5:10)

सूर्योदय होते ही, सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया। लेकिन एपाफ्रास और लीदिया के चेहरे पर शांति थी। वे जानते थे कि उनका परिश्रम व्यर्थ नहीं जाएगा। परमेश्वर उन्हें महिमा में स्थिर करेगा।

और इस तरह, 1 पतरस 5 के शब्दों ने उनके हृदयों में आशा और साहस भर दिया, जिससे वे हर परीक्षा में विजयी हो सके।

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