पवित्र बाइबल

हाग्गै 2: भविष्य की महिमा और परमेश्वर की प्रतिज्ञा

**हाग्गै 2: भव्य भविष्य की प्रतिज्ञा**

यरूशलेम के पुनर्निर्माण के दिनों में, जब लोग अपने-अपने घरों को सजाने में व्यस्त थे, परमेश्वर का वचन हाग्गै नबी के द्वारा आया। यह उस समय की बात है जब मंदिर का पुनर्निर्माण धीमा पड़ गया था, और लोग अपनी निजी सुख-सुविधाओं में लगे हुए थे। परन्तु परमेश्वर ने हाग्गै के माध्यम से उन्हें जगाया और उनके हृदयों में नया उत्साह भर दिया।

### **परमेश्वर का प्रोत्साहन**

एक दिन, हाग्गै ने यहोवा का वचन सुनाया: “हे जरूब्बाबेल, हे यहोशू, हे सारे देश के लोगों, तुम में से कौन ऐसा है जिसने इस मंदिर को उसके पहले के वैभव में देखा था? अब यह तुम्हें कैसा दिखाई देता है? क्या यह तुम्हारी दृष्टि में कुछ भी नहीं?”

लोगों ने सोचा—हाँ, सुलैमान के समय का वह भव्य मंदिर, जो सोने, चाँदी और बहुमूल्य पत्थरों से सजा हुआ था, अब इसके मुकाबले में यह नया मंदिर कितना छोटा और साधारण लगता है! उनके मन में निराशा घर कर गई।

तब हाग्गै ने परमेश्वर का सन्देश दिया: “अब हे जरूब्बाबेल, दृढ़ हो जा! हे यहोशू, दृढ़ हो जा! हे सारे देश के लोगों, दृढ़ हो जाओ और काम करो, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हूँ। मैंने तुम्हें मिस्र से निकालते समय जो प्रतिज्ञा की थी, वह आज भी सच है। मेरा आत्मा तुम्हारे बीच में है, डरो मत!”

### **भविष्य की महिमा**

फिर परमेश्वर ने एक और आश्चर्यजनक वचन दिया: “थोड़े ही समय में मैं आकाश और पृथ्वी, समुद्र और सूखी भूमि को हिला दूँगा। सभी जातियों के धन यहाँ आएँगे, और मैं इस मंदिर को महिमा से भर दूँगा। पहले मंदिर की महिमा से भी बड़ी महिमा इसकी होगी। इस स्थान में मैं शान्ति दूँगा।”

लोगों के हृदय आश्चर्य से भर उठे। क्या सचमुच यह साधारण सा मंदिर इतना महान बन जाएगा? परन्तु परमेश्वर की प्रतिज्ञा सच्ची थी। वह उनके छोटे-से प्रयासों को भी अपनी महिमा से भर देने वाला था।

### **पवित्र जीवन का आह्वान**

फिर हाग्गै ने लोगों को एक दृष्टान्त सुनाया। उसने कहा, “यदि कोई पवित्र मांस को अपने वस्त्र के छोर में लपेटे और फिर वह छोर रोटी या दाखरस को छू ले, तो क्या वह पवित्र हो जाएगा?”

पुरोहितों ने उत्तर दिया, “नहीं।”

हाग्गै ने कहा, “ठीक वैसे ही, जो लोग अशुद्ध हैं, वे जो कुछ भी छूते हैं, उसे अशुद्ध कर देते हैं। इसलिए तुम्हारे कार्य, तुम्हारी बलियाँ, सब कुछ तब तक अशुद्ध हैं जब तक तुम्हारा हृदय परमेश्वर के प्रति समर्पित नहीं है।”

यह सुनकर लोगों ने पश्चाताप किया। उन्होंने समझा कि केवल बाहरी कर्मकाण्ड पर्याप्त नहीं है—उन्हें अपने हृदय को भी शुद्ध करना होगा।

### **जरूब्बाबेल के लिए आशीष**

अन्त में, परमेश्वर ने जरूब्बाबेल से कहा, “हे जरूब्बाबेल, मैं तुझे चुनता हूँ। तू मेरी मुहर की अंगूठी है, क्योंकि मैंने तुझे चुना है। जब मैं सारे संसार को हिला दूँगा, तब तेरी सत्ता स्थिर रहेगी।”

इन वचनों ने जरूब्बाबेल और सारे यहूदियों को नई सामर्थ्य दी। उन्होंने मंदिर के काम को पूरी लगन से आरम्भ किया, यह जानते हुए कि परमेश्वर उनके साथ है और उनका भविष्य उज्ज्वल है।

### **निष्कर्ष**

हाग्गै के वचनों ने लोगों को सिखाया कि परमेश्वर की सेवा में छोटी शुरुआत भी महान परिणाम दे सकती है, यदि हमारा हृदय शुद्ध हो और हम उसकी इच्छा के प्रति समर्पित हों। उसने यह भी दिखाया कि परमेश्वर की महिमा मनुष्य के बाहरी प्रयासों से नहीं, बल्कि उसकी दिव्य योजना से प्रकट होती है। आज भी, यह सन्देश हमें प्रोत्साहित करता है कि हम अपने छोटे-से योगदान को भी परमेश्वर के हाथों में सौंप दें, क्योंकि वही उसे महिमामंडित करेगा।

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