पवित्र बाइबल

यहेजकेल का दाखलता दृष्टांत और पश्चाताप का संदेश

एक समय की बात है, यहूदा के लोगों के लिए परमेश्वर का वचन यहेजकेल नबी के पास आया। यहेजकेल यरूशलेम में बसे हुए लोगों को परमेश्वर का संदेश सुनाने के लिए बुलाए गए थे। उस समय, यरूशलेम के लोग अपने पापों में डूबे हुए थे और परमेश्वर की आज्ञाओं को भूल चुके थे। उन्होंने मूर्तियों की पूजा शुरू कर दी थी और अन्याय व अधर्म का जीवन जी रहे थे। परमेश्वर ने यहेजकेल को एक दृष्टांत देकर उन्हें समझाने का निर्णय किया।

यहेजकेल ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “हे मनुष्यों, सुनो! परमेश्वर तुमसे एक प्रश्न पूछता है। जंगल के दाखलता के पेड़ के बारे में सोचो। उसकी लकड़ी किस काम आती है? क्या उससे कोई उपयोगी वस्तु बनाई जा सकती है? क्या उससे कोई दरवाजा, मेज, या कोई औजार बनाया जा सकता है?”

लोग चुपचाप सुन रहे थे, क्योंकि वे जानते थे कि दाखलता की लकड़ी नरम और कमजोर होती है। उससे कोई मजबूत वस्तु नहीं बनाई जा सकती। यहेजकेल ने आगे कहा, “नहीं, दाखलता की लकड़ी से कोई उपयोगी चीज़ नहीं बनाई जा सकती। यदि उसे आग में डाल दिया जाए, तो वह जलकर राख हो जाती है। उसका कोई मूल्य नहीं रहता।”

फिर यहेजकेल ने परमेश्वर का संदेश सुनाया, “हे यरूशलेम के लोगों, तुम्हारी स्थिति भी इस दाखलता की लकड़ी के समान है। जब तक तुम परमेश्वर से जुड़े हुए थे, तब तक तुम्हारा मूल्य था। लेकिन अब तुमने उसकी आज्ञाओं को त्याग दिया है और अपने पापों में डूब गए हो। तुम्हारा कोई मूल्य नहीं रह गया है। जैसे दाखलता की लकड़ी आग में जलकर नष्ट हो जाती है, वैसे ही तुम भी अपने पापों के कारण नष्ट हो जाओगे।”

यहेजकेल की बातें सुनकर लोग डर गए। उन्हें एहसास हुआ कि उनके पापों ने उन्हें परमेश्वर से दूर कर दिया है। यहेजकेल ने आगे कहा, “परमेश्वर कहता है कि यदि तुम मन फिराओ और उसकी ओर लौटो, तो वह तुम्हें क्षमा करेगा। लेकिन यदि तुम अपने पापों में बने रहोगे, तो तुम्हारा अंत निश्चित है। जैसे दाखलता की लकड़ी आग में जलकर राख हो जाती है, वैसे ही तुम भी अपने पापों के कारण नष्ट हो जाओगे।”

यहेजकेल के शब्दों ने लोगों के दिलों को छू लिया। कुछ लोगों ने मन फिराने का निर्णय लिया, जबकि कुछ अभी भी अपने पापों में डूबे रहे। परमेश्वर ने यहेजकेल के माध्यम से यह संदेश दिया कि वह हमेशा अपने लोगों को मन फिराने का अवसर देता है, लेकिन यदि वे उसकी आज्ञाओं को नहीं मानेंगे, तो उनका अंत निश्चित है।

इस प्रकार, यहेजकेल ने दाखलता के दृष्टांत के माध्यम से यरूशलेम के लोगों को परमेश्वर की इच्छा समझाई और उन्हें पश्चाताप करने का आह्वान किया। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि परमेश्वर से दूर होने का अर्थ है अपने मूल्य और उद्देश्य को खो देना, लेकिन उसकी ओर लौटने का अर्थ है नई आशा और जीवन पाना।

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