लूका के सुसमाचार के सातवें अध्याय में एक अद्भुत कहानी है जो यीशु मसीह के प्रेम, करुणा और सामर्थ्य को प्रकट करती है। यह कहानी कफरनहूम के एक सूबेदार के विश्वास और यीशु के चमत्कार के बारे में है। आइए, हम इस कहानी को विस्तार से देखें और उसके गहरे अर्थ को समझें।
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कफरनहूम एक सुंदर और व्यस्त शहर था, जो गलील झील के किनारे बसा हुआ था। यह शहर व्यापार और संस्कृति का केंद्र था, और यहाँ रोमी सैनिकों का भी एक बड़ा दल रहता था। उन दिनों रोमी साम्राज्य का शासन था, और इस्राएल के लोगों पर रोमी सूबेदारों का अधिकार था। इन सूबेदारों में से एक सूबेदार बहुत ही दयालु और न्यायप्रिय था। वह अपने सेवकों से बहुत प्रेम करता था और इस्राएल के लोगों के प्रति भी उसके मन में सम्मान था। उसने यहूदी आराधनालय का निर्माण करवाया था, जिससे वह इस्राएल के लोगों के बीच प्रिय हो गया था।
एक दिन, उस सूबेदार का एक सेवक बीमार पड़ गया। वह सेवक उसके लिए बहुत ही प्रिय था, क्योंकि वह न केवल उसका सेवक था, बल्कि उसके परिवार का हिस्सा भी था। सेवक की हालत इतनी गंभीर हो गई कि वह मृत्यु के द्वार पर पहुँच गया। सूबेदार को बहुत दुःख हुआ, और उसने यीशु के बारे में सुना। उसने सुना था कि यीशु एक महान चमत्कारी हैं, जो बीमारों को चंगा करते हैं और मृतकों को जिलाते हैं। उसने सोचा कि यदि यीशु आएँगे, तो वे निश्चित रूप से उसके सेवक को चंगा कर देंगे।
सूबेदार ने यहूदी बुजुर्गों को बुलाया और उनसे कहा, “कृपया यीशु के पास जाइए और उनसे मेरी ओर से निवेदन कीजिए कि वे मेरे सेवक को चंगा करने आएँ।” बुजुर्गों ने यीशु के पास जाकर उनसे विनती की, “हे प्रभु, यह सूबेदार आपके लायक है, क्योंकि वह हमारे लोगों से प्रेम करता है और उसने हमारे आराधनालय का निर्माण करवाया है।”
यीशु ने उनकी बात सुनी और उनके साथ चल दिए। जब वे सूबेदार के घर के निकट पहुँचे, तो सूबेदार ने अपने कुछ मित्रों को यीशु के पास भेजा और उनसे कहा, “हे प्रभु, मैं इतना योग्य नहीं हूँ कि आप मेरे घर में प्रवेश करें। मैंने स्वयं को आपके सामने आने के योग्य नहीं समझा। इसलिए, मैंने सोचा कि आप केवल एक वचन कहेंगे, और मेरा सेवक चंगा हो जाएगा। मैं भी एक अधिकारी हूँ, और मेरे अधीन सैनिक हैं। जब मैं किसी से कहता हूँ, ‘जाओ,’ तो वह जाता है; और जब मैं किसी से कहता हूँ, ‘आओ,’ तो वह आता है। मैं जानता हूँ कि आपके पास वही सामर्थ्य है।”
यीशु ने उसकी बात सुनी और उसके विश्वास पर आश्चर्यचकित हुए। उन्होंने अपने साथ चल रहे लोगों की ओर मुड़कर कहा, “मैं तुमसे कहता हूँ, मैंने इस्राएल में भी इतना बड़ा विश्वास नहीं पाया।” फिर यीशु ने सूबेदार के मित्रों से कहा, “जाओ, जैसा तुमने विश्वास किया है, वैसा ही तुम्हारे लिए हो।”
जब सूबेदार के मित्र घर लौटे, तो उन्होंने देखा कि सेवक पूरी तरह से चंगा हो चुका था। वह स्वस्थ और सक्रिय था, जैसे कि उसे कभी कोई बीमारी हुई ही न हो। सूबेदार ने यीशु के प्रति अपना विश्वास और गहरा कर लिया, और उसने अपने घर के सभी लोगों को यीशु के बारे में बताया।
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यह कहानी हमें यीशु मसीह के प्रेम और सामर्थ्य के बारे में सिखाती है। यह दिखाती है कि यीशु न केवल यहूदियों के लिए हैं, बल्कि वे सभी के लिए हैं जो उन पर विश्वास करते हैं। सूबेदार का विश्वास इस बात का प्रमाण है कि यीशु के वचन में अद्भुत सामर्थ्य है। उन्हें केवल एक वचन कहने की आवश्यकता थी, और चमत्कार हो गया। यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें अपने विश्वास में विनम्र और दृढ़ रहना चाहिए, क्योंकि यीशु हमारे विश्वास के अनुसार हमारे लिए कार्य करते हैं।