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तूर नगर का वैभव और पतन: यहेजकेल 27 की कहानी

**यहेजकेल 27: तूर का विलाप**

समुद्र के किनारे बसा हुआ तूर एक ऐसा नगर था जिसकी महिमा और वैभव से पूरी दुनिया चकित थी। यह नगर व्यापार और सौंदर्य का केंद्र था, जहाँ दूर-दूर से व्यापारी आते थे और बहुमूल्य वस्तुओं का लेन-देन करते थे। परन्तु उसके अहंकार और पापों के कारण, प्रभु यहोवा ने उसके विरुद्ध न्याय की घोषणा की। यहेजकेल नबी के द्वारा परमेश्वर ने तूर के पतन का एक विस्तृत चित्रण किया, जो उसके गौरव और अंतिम विनाश को दर्शाता है।

### **तूर की महिमा का वर्णन**

यहेजकेल ने तूर को एक भव्य जहाज़ के रूप में चित्रित किया, जो अपनी सुंदरता और सामर्थ्य में अद्वितीय था। उसने कहा, *”हे तूर, तू ने अपने विषय में कहा है कि मैं तो सौंदर्य की साक्षात् मूर्ति हूँ। तेरी सीमाएँ समुद्र के हृदय में हैं, तेरे निर्माताओं ने तेरी सुंदरता को परिपूर्ण किया है।”*

तूर का निर्माण बाशान के देवदार के वृक्षों से हुआ था, जिनसे उसकी पट्टियाँ बनाई गई थीं। लबानोन के देवदार उसके मस्तूल बने, और बाशान की ओक के पेड़ों से उसके चप्पू तैयार किए गए। कित्तीम द्वीप के सनौवर (बबूल) की लकड़ी से उसकी डेक बनी थी, जिस पर हाथीदाँत का काम किया गया था। मिस्र से आए बारीक सनी सनी कपड़े उसके पाल बने, और एदोम से लाए गए नीले और बैंगनी रंग के वस्त्र उसकी शोभा बढ़ाते थे।

### **तूर का व्यापारिक वैभव**

तूर का धन और समृद्धि उसके व्यापार से आती थी। वह सभी देशों के साथ व्यापार करता था, और उसके मेले में दुनिया भर की बहुमूल्य वस्तुएँ मिलती थीं।

– **सेनीर और हेलमोन** उसे घोड़े और रथ देते थे।
– **यवन, तुबल और मेशेक** उसके साथ दास और कांसे के बर्तनों का व्यापार करते थे।
– **बेत-तोगर्मा** उसके लिए घोड़े, युद्ध के अश्व, और खच्चर भेजता था।
– **ददान** व्यापारी उसे हाथीदाँत और काले आबनूस की लकड़ी देते थे।
– **अराम** उसके लिए माणिक्य, बैंगनी वस्त्र, सनी कपड़े, और मलमल भेजता था।
– **यहूदा और इस्राएल** उसे गेहूँ, शहद, तेल, और सुगंधित राल देते थे।
– **दमिश्क** उसके लिए हेलमोन की शराब और ऊन का बढ़िया कपड़ा लाता था।
– **दान और यवन** उसके साथ लोहे, दालचीनी, और गन्ने का व्यापार करते थे।
– **देदान** उसे महीन कालीन और घोड़ों के लिए काठी देता था।
– **अरब और केदार के सरदार** उसके साथ मेम्ने, मेढ़े, और बकरियों का व्यापार करते थे।
– **शबा और रैमा** उसे बहुमूल्य मसाले, रत्न, और सोना देते थे।
– **हारान, कन्ने, और एदेन** उसके साथ नीले कपड़े, कढ़ाईदार वस्त्र, और महीन रेशम का व्यापार करते थे।

इस प्रकार, तूर समृद्धि के शिखर पर पहुँच गया था। उसके पास जो कुछ भी था, वह उसकी बुद्धि और व्यापारिक कुशलता का परिणाम था।

### **तूर का पतन और विलाप**

परन्तु जब तूर अपने गौरव में अभिमानी हो गया, तब प्रभु यहोवा ने उसके विरुद्ध न्याय की घोषणा की। यहेजकेल ने भविष्यद्वाणी की कि पूर्व की ओर से आने वाली हवाएँ तूर को तोड़ देंगी, और उसका सारा वैभव नष्ट हो जाएगा।

*”जब तेरे माल की भरमार हुई, तब समुद्र की गहराइयों में तेरा डूबना निश्चित हो गया। तेरे नाविक, तेरे पोतचालक, तेरे व्यापारी, और तेरे सब योद्धा जहाज़ के भीतर ही डूब जाएँगे। समुद्र की लहरों का शोर तेरे विलाप से भर जाएगा।”*

तूर के पतन पर सभी राष्ट्र विलाप करेंगे। उसके व्यापारी सिर पकड़कर रोएँगे, और राजा अपने वस्त्र फाड़कर शोक मनाएँगे। जो नगर कभी समुद्र की रानी कहलाता था, वह अब केवल एक टूटे हुए जहाज़ की तरह होगा, जिसका नाम भी इतिहास के पन्नों में मिट जाएगा।

### **आध्यात्मिक शिक्षा**

तूर की कहानी हमें सिखाती है कि मनुष्य का अहंकार और भौतिक समृद्धि पर भरोसा उसके पतन का कारण बन सकता है। परमेश्वर सभी राष्ट्रों के न्यायाधीश हैं, और वे गर्वीले हृदय को नम्र कर देते हैं। तूर का विनाश इस बात का प्रमाण है कि मनुष्य की महिमा क्षणभंगुर है, परन्तु परमेश्वर की महिमा सदैव बनी रहती है।

इस प्रकार, यहेजकेल 27 का विवरण न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि एक शक्तिशाली आध्यात्मिक चेतावनी भी है कि मनुष्य को अपनी सफलता पर घमण्ड नहीं करना चाहिए, क्योंकि परमेश्वर की इच्छा के बिना सब कुछ व्यर्थ है।

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