जीभ की शक्ति: याकूब 3 की शिक्षा पर एक प्रेरक कहानी (Count: 65 characters, including spaces) This title: – Is under 100 characters – Removes all symbols like asterisks and quotes – Clearly indicates the biblical reference (याकूब 3) – Uses the Hindi phrase प्रेरक कहानी (inspiring story) to attract readers – Maintains the core theme of the tongue’s power from the story
# **जीभ की शक्ति: याकूब 3 पर आधारित एक कहानी**
एक समय की बात है, यरूशलेम के पास एक छोटे से गाँव में एलियाह नाम का एक बुद्धिमान और वृद्ध शिक्षक रहता था। वह प्रभु यीशु का अनुयायी था और लोगों को परमेश्वर के वचन की शिक्षा देता था। एक दिन, गाँव के कुछ युवक उसके पास आए और बहस करने लगे।
“गुरुजी,” एक युवक ने कहा, “हम में से कौन सबसे बुद्धिमान है? कौन सबसे अच्छा उपदेशक हो सकता है?”
एलियाह ने मुस्कुराते हुए उनकी ओर देखा और कहा, “मेरे प्यारे बच्चों, बुद्धि का मापदंड केवल ज्ञान नहीं, बल्कि वचनों का संयम है।” फिर उसने एक छोटी-सी लकड़ी की तीलियाँ उठाईं और उन्हें आग लगा दी। छोटी-सी आग ने कुछ ही पलों में बड़ी लपटें भड़का दीं।
युवक हैरान हो गए। एलियाह ने कहा, “देखो, इतनी छोटी-सी आग भी बड़े जंगल को जला सकती है। ठीक वैसे ही, हमारी जीभ भी एक छोटा-सा अंग है, लेकिन इसकी शक्ति बहुत बड़ी है।”
## **जीभ आशीष या अभिशाप?**
एलियाह ने आगे कहा, “जीभ से हम परमेश्वर की महिमा कर सकते हैं, लोगों को आशीष दे सकते हैं, लेकिन यही जीभ अगर अनियंत्रित हो जाए, तो विनाश भी ला सकती है।”
उसने एक कहानी सुनाई:
“कुछ समय पहले, इसी गाँव में दो भाई रहते थे—दानिय्येल और मीका। दानिय्येल शांत और विवेकशील था, जबकि मीका गुस्सैल और बेलगाम जीभ वाला। एक दिन, खेतों में काम करते समय मीका ने अपने भाई को कटु वचन कहे, ‘तुम हमेशा आलसी हो! तुम्हारी वजह से हमारी फसल खराब हो रही है!’ ये शब्द दानिय्येल के दिल में चुभ गए। वह चुपचाप चला गया, लेकिन उसके मन में कड़वाहट भर गई। धीरे-धीरे उनके बीच दूरियाँ बढ़ने लगीं।”
एलियाह ने गहरी सांस लेकर कहा, “देखा, कैसे कुछ कड़वे शब्दों ने दो भाइयों के बीच दीवार खड़ी कर दी? यही जीभ की ताकत है। यही कारण है कि प्रेरित याकूब ने कहा—’जीभ को कोई व्यक्ति वश में नहीं कर सकता। वह बुराई से भरी हुई है और प्राणघातक जहर से भरी रहती है।’ (याकूब 3:8)”
## **जीभ और हृदय की शुद्धि**
एक युवक ने पूछा, “तो फिर हम अपनी जीभ को कैसे नियंत्रित करें?”
एलियाह ने जवाब दिया, “जीभ का नियंत्रण हृदय से शुरू होता है। यीशु ने कहा था—’मनुष्य के मन से ही बुरे विचार निकलते हैं।’ (मरकुस 7:21) इसलिए, हमें अपने हृदय को पवित्र करना होगा। जब हमारा मन प्रेम, दया और सच्चाई से भरा होगा, तो हमारी जीभ से भी अच्छे ही शब्द निकलेंगे।”
उसने एक उदाहरण दिया:
“इसी गाँव में एक महिला थी—राहेल। वह हमेशा दूसरों की मदद करती थी। जब कोई दुखी होता, तो वह उसे सांत्वना देती। जब कोई भटकता, तो वह उसे सत्य का मार्ग दिखाती। उसकी जीभ से निकले शब्दों ने कई लोगों के जीवन बदल दिए। क्यों? क्योंकि उसका हृदय प्रभु के प्रेम से भरा था।”
## **सच्ची बुद्धि क्या है?**
अंत में, एलियाह ने युवकों से कहा, “सच्ची बुद्धि यह नहीं कि तुम कितना ज्ञान रखते हो, बल्कि यह है कि तुम उस ज्ञान को कैसे उपयोग करते हो। स्वर्गीय बुद्धि पवित्र, कोमल और क्षमाशील होती है। यदि तुम्हारे हृदय में ईर्ष्या, अहंकार या कलह है, तो तुम्हारी जीभ भी उसी का प्रतिबिंब बनेगी।”
युवकों ने गंभीरता से उसकी बातें सुनीं। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि वे अपनी वाणी को परमेश्वर की महिमा के लिए उपयोग करेंगे।
एलियाह ने आशीर्वाद देते हुए कहा, “याद रखो, जैसे एक छोटा सा पतवार बड़े जहाज को मोड़ देता है, वैसे ही तुम्हारी जीभ तुम्हारे जीवन की दिशा तय करेगी। इसलिए, इसे सदैव सत्य और प्रेम के वश में रखो।”
और इस तरह, गाँव के लोगों ने सीखा कि जीभ की शक्ति को समझना और उसे परमेश्वर की सेवा में लगाना ही सच्ची बुद्धि है।
**~ समाप्त ~**