**ईश्वर की नई सृष्टि: यशायाह 65 की कहानी**
प्राचीन काल में, यहूदिया के पहाड़ियों और उजड़े हुए नगरों के बीच, एक ऐसा समय आया जब लोगों ने ईश्वर को भुला दिया था। वे मूर्तियों के सामने झुकते, अशुद्ध कर्म करते, और अपने हृदयों में अहंकार से भरे हुए थे। परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता यशायाह के माध्यम से उन्हें चेतावनी दी, किन्तु उन्होंने नहीं सुनी। फिर भी, ईश्वर की कृपा अटल थी। उसने एक नया दिन आने की घोषणा की—एक ऐसा समय जब वह सब कुछ नया कर देगा।
### **ईश्वर का विद्रोही लोगों से विवाद**
यशायाह ने परमेश्वर के वचनों को लोगों तक पहुँचाया: *”मैंने उन लोगों को खोजा जो मुझे नहीं पूछते थे; मैंने उन्हें पाया जो मुझे नहीं ढूँढ़ते थे। मैंने कहा, ‘मैं यहाँ हूँ, मैं यहाँ हूँ,’ उन लोगों से जो मेरे नाम से नहीं पुकारते थे।”* (यशायाह 65:1)
परमेश्वर ने अपनी करुणा दिखाई, किन्तु उसके लोगों ने उसकी अवहेलना की। वे बागों में जाकर मूर्तियों के लिए बलिदान चढ़ाते, सुअर का मांस खाते, और अशुद्ध व्यंजनों से अपने पात्र भरते। वे एक-दूसरे से कहते, *”तुम हमसे दूर रहो, हमसे छूने मत, क्योंकि हम तुमसे पवित्र हैं!”* (यशायाह 65:5)
यह सुनकर परमेश्वर का कोप भड़क उठा। उसने कहा, *”देख, तेरे कर्म तेरे सामने हैं। मैं तुम्हारे पापों का प्रतिफल दूँगा—तुम्हारे और तुम्हारे पूर्वजों के पापों का।”* (यशायाह 65:6-7)
### **विनाश और शेष बचे हुए लोग**
परमेश्वर ने न्याय की घोषणा की। जो लोग उसकी अवज्ञा करते थे, वे तलवार से गिरेंगे, अकाल से मरेंगे, और उनकी नामधारी संतानें शापित होंगी। किन्तु उसने यह भी कहा: *”जैसे दाख की बेल में कुछ दाने बच जाते हैं, वैसे ही मैं अपने सेवकों के लिए कुछ लोगों को बचा लूँगा।”* (यशायाह 65:8)
ये बचे हुए लोग वे थे जिन्होंने परमेश्वर की खोज की थी, जो उसकी आज्ञाओं पर चले थे। उनके लिए, ईश्वर ने एक नया भविष्य तैयार किया था।
### **नया स्वर्ग और नई पृथ्वी**
फिर परमेश्वर ने एक अद्भुत वादा किया: *”देख, मैं नए आकाश और नई पृथ्वी की सृष्टि करने पर हूँ। पहली बातें स्मरण नहीं रखी जाएँगी, और न ही वे स्मृति में आएँगी।”* (यशायाह 65:17)
यह एक ऐसा समय होगा जब आनन्द और शांति सर्वत्र व्याप्त होगी। यरूशलेम आनन्द का नगर बनेगा, और उसके लोगों के दुःख दूर हो जाएँगे। *”वहाँ कोई शिशु अल्पायु में नहीं मरेगा, न कोई वृद्ध अपनी आयु पूरी किए बिना मरेगा।”* (यशायाह 65:20)
लोग अपने हाथों से बनाए घरों में रहेंगे, अपनी दाख की बारियों का फल खाएँगे। वे व्यर्थ परिश्रम नहीं करेंगे, न ही उनके बच्चे आकस्मिक विपत्ति में होंगे। *”वे मेरे नाम से पुकारेंगे, और मैं उन्हें उत्तर दूँगा।”* (यशायाह 65:24)
### **शांति का राज्य**
उस समय, भेड़िया और मेमना एक साथ चरेंगे, सिंह घास खाएगा, और साँप की रोटी मिट्टी होगी। *”मेरे पवित्र पर्वत पर कोई अनर्थ नहीं करेगा, न ही कोई विनाश फैलाएगा।”* (यशायाह 65:25)
यह परमेश्वर की महिमा का राज्य होगा, जहाँ वह सदैव अपने लोगों के साथ रहेगा। जो उसकी प्रतीक्षा करते हैं, उनके लिए यह आशीषों से भरा होगा।
इस प्रकार, यशायाह के वचनों ने एक नई आशा का संदेश दिया—एक ऐसा समय जब परमेश्वर सब कुछ नया करेगा, और उसकी प्रजा सदैव उसकी महिमा में आनन्दित होगी।