**2 शमूएल 8: दाऊद की विजय और प्रभु की महिमा**
राजा दाऊद यरूशलेम में विराजमान थे, और प्रभु उनके साथ थे। उनका हृदय परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलता था, और इसीलिए प्रभु ने उन्हें हर ओर विजय दी। एक दिन, जब दाऊद अपने महल में बैठे हुए थे, तो उन्होंने सोचा, “इस्राएल के चारों ओर के शत्रु अभी भी हमें घेरे हुए हैं। फिलिस्तीनी, मोआबी, अम्मोनियों, और सोबा के राज्य हमारी शांति को भंग करते हैं। क्या प्रभु मुझे इन सब पर विजय देंगे?”
दाऊद ने परमेश्वर से प्रार्थना की, और प्रभु ने उनके हृदय में उत्तर दिया: “जहाँ कहीं तू जाएगा, मैं तेरे साथ रहूँगा।” यह सुनकर दाऊद ने अपने सेनापति योआब को बुलाया और कहा, “हमें फिलिस्तीनियों के विरुद्ध युद्ध करना चाहिए। वे बार-बार हमारी सीमाओं पर आक्रमण करते हैं।”
### **फिलिस्तीनियों पर विजय**
दाऊद ने अपनी सेना को संगठित किया और फिलिस्तीनियों के खिलाफ मार्च किया। युद्ध बहुत भयंकर हुआ, क्योंकि फिलिस्तीनी लंबे समय से इज़राइल के शत्रु थे। परंतु प्रभु ने दाऊद को असाधारण बल दिया। उन्होंने फिलिस्तीनियों को हराया और उनके महत्वपूर्ण नगर मेतेग-अम्मा को अपने अधीन कर लिया। फिलिस्तीनियों के हाथ से उन्होंने बहुत सा सोना, चाँदी और कलात्मक वस्तुएँ लीं, जिन्हें उन्होंने प्रभु के मंदिर के लिए अलग रखा।
### **मोआबियों का पराजय**
इसके बाद, दाऊद ने मोआबियों के विरुद्ध युद्ध किया। मोआब के लोग इज़राइल के पूर्वी पड़ोसी थे और अक्सर उनसे शत्रुता रखते थे। दाऊद की सेना ने मोआबियों को घेर लिया और उन्हें पूरी तरह से हरा दिया। दाऊद ने मोआब के बंदियों को एक मापदंड के अनुसार जीवित रखा—उन्होंने दो हिस्सों में रस्सी बिछाई। एक हिस्से के लोगों को जीवित छोड़ दिया गया, और दूसरे हिस्से को मार डाला गया। इस तरह मोआब दाऊद के अधीन हो गया और उन्हें कर देने लगा।
### **सोबा के हददेजेर का पतन**
फिर दाऊद ने अपना ध्यान सोबा के राजा हददेजेर की ओर लगाया, जो फरात नदी के पास राज्य करता था। हददेजेर ने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए युद्ध छेड़ रखा था। दाऊद ने अपनी सेना को संगठित किया और हददेजेर से युद्ध किया। प्रभु ने दाऊद को इतनी बड़ी विजय दी कि उन्होंने हददेजेर की सारी सेना को परास्त कर दिया और उसके हज़ारों रथों और घुड़सवारों को नष्ट कर दिया।
हददेजेर के पास बहुत सोना-चाँदी था, जिसे दाऊद ने ले लिया। साथ ही, उसने हददेजेर के अधीनस्थ शहरों से भी धन एकत्र किया। इन विजयों के बाद, दमिश्क के अरामी लोग हददेजेर की सहायता के लिए आए, परंतु दाऊद ने उन्हें भी हरा दिया। इज़राइल की सेना ने अरामियों के बाईस हज़ार सैनिकों को मार डाला। इसके बाद, अराम के राजा ने दाऊद के सामने शांति की याचना की और उन्हें कर देने लगा। प्रभु ने दाऊद को हर जगह विजयी बनाया।
### **एदोम पर अधिकार**
दाऊद ने एदोम पर भी आक्रमण किया। एदोमी लोग दक्षिण में रहते थे और अक्सर इज़राइल के लिए समस्या बने रहते थे। दाऊद ने अपने सेनापति योआब को एदोम भेजा, और योआब ने वहाँ के सारे पुरुषों को पराजित किया। एदोम भी दाऊद के अधीन हो गया, और उन्होंने वहाँ अपने अधिकारियों को नियुक्त किया।
### **दाऊद की धार्मिकता और प्रभु की महिमा**
इन सभी युद्धों में दाऊद ने कभी भी अपनी शक्ति पर घमंड नहीं किया। वह जानते थे कि ये सभी विजयें प्रभु की ओर से हैं। इसलिए, उन्होंने सारी लूट में से सोने, चाँदी और बहुमूल्य वस्तुओं को प्रभु के मंदिर के लिए अलग कर दिया। दाऊद ने यहोवा के नाम को महिमा दी और उसकी आराधना की।
इस प्रकार, दाऊद ने चारों ओर के सभी शत्रुओं को जीत लिया और इज़राइल को एक शक्तिशाली राष्ट्र बना दिया। उन्होंने न्याय और धार्मिकता से शासन किया, और प्रभु उनके साथ था। दाऊद के सभी अधिकारी—योआब सेनापति, यहोशापात इतिहासकार, सादोक और अहीमेलेक याजक, और शवशा मंत्री—सभी ने उनके राज्य को स्थिर किया।
इस तरह, 2 शमूएल 8 के अनुसार, दाऊद ने प्रभु की सहायता से महान विजय प्राप्त की और इज़राइल को सुरक्षित और समृद्ध बनाया। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि दाऊद का हृदय परमेश्वर के प्रति समर्पित था, और प्रभु ने उन्हें हर जगह आशीष दी।