पवित्र बाइबल

धन्य है वह जो यहोवा का भय मानता है

**भजन संहिता 128 पर आधारित एक विस्तृत कहानी**

**शीर्षक: “धन्य है वह जो यहोवा का भय मानता है”**

एक समय की बात है, यरूशलेम के पास एक छोटे-से गाँव में एक व्यक्ति रहता था जिसका नाम एलीआव था। वह एक साधारण किसान था, जो अपने परिवार के साथ मेहनत से खेती करके जीवन यापन करता था। गाँव के लोग उसे एक ईमानदार और परमेश्वर से डरने वाले व्यक्ति के रूप में जानते थे। उसका जीवन भजन संहिता 128 के वचनों की जीती-जागती मिसाल था—**”धन्य है वह जो यहोवा का भय मानता है और उसके मार्गों पर चलता है।”**

एलीआव प्रतिदिन सुबह उठकर सबसे पहले परमेश्वर की आराधना करता, उसका धन्यवाद करता और अपने परिवार के लिए प्रार्थना करता। वह अपने खेतों में काम करते हुए भी परमेश्वर के वचनों को स्मरण करता रहता। उसकी पत्नी, रूथ, भी उसी भक्ति भाव से परमेश्वर की सेवा करती थी। वह अपने घर को प्रेम और शांति से भर देती थी, जैसे भजन में लिखा है—**”तेरी पत्नी तेरे घर के भीतर फलवन्त दाखलता के समान होगी।”**

एलीआव और रूथ के तीन पुत्र और दो पुत्रियाँ थीं, जो उनके लिए परमेश्वर का आशीष थे। बच्चे भी अपने माता-पिता की शिक्षा से प्रभावित थे और परमेश्वर के मार्गों पर चलते थे। जब भी वे भोजन करते, एलीआव उन्हें धर्मशास्त्र की शिक्षा देता और कहता, **”बच्चों, परमेश्वर का भय मानो, क्योंकि यही ज्ञान का आरंभ है। यदि तुम उसकी आज्ञाओं का पालन करोगे, तो तुम्हारे जीवन में आशीर्वाद बना रहेगा।”**

एक बार गाँव में भयंकर अकाल पड़ा। बारिश न होने के कारण खेत सूख गए और फसलें नष्ट हो गईं। गाँव के कई लोगों ने निराश होकर परमेश्वर को दोष देना शुरू कर दिया, लेकिन एलीआव ने विश्वास नहीं खोया। वह प्रतिदिन प्रार्थना करता रहा और अपने परिवार को भी ढाँढस बँधाता रहा। उसने कहा, **”हमारा परमेश्वर सदैव हमारी देखभाल करेगा। वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा।”**

और सचमुच, परमेश्वर ने उसके विश्वास को देखा। जब सभी लोग भूखे-प्यासे थे, एलीआव के घर में हमेशा भोजन बना रहता। उसके पड़ोसी आश्चर्य करते थे कि इतने संकट के समय भी उसके परिवार को कोई कमी नहीं थी। एक दिन, गाँव के बुजुर्गों ने एलीआव से पूछा, **”तुम्हारे घर में इतनी शांति और आशीर्वाद क्यों है?”**

एलीआव ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, **”यह परमेश्वर का वचन है—’जो यहोवा का भय मानता है, वह अपने परिश्रम का फल अवश्य खाएगा।’ मैंने कभी परमेश्वर पर भरोसा नहीं छोड़ा, और उसने मेरे विश्वास को कभी नहीं तोड़ा।”**

कुछ समय बाद, बारिश हुई और गाँव में फिर से हरियाली छा गई। एलीआव के खेतों में इतनी अच्छी फसल हुई कि उसने अपने पड़ोसियों के साथ भी बाँट दिया। उसके बच्चे बड़े होकर ज्ञानवान और सम्मानित बने, और उसका परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी परमेश्वर की आशीषों का आनंद लेता रहा।

एलीआव का जीवन भजन संहिता 128 की सच्चाई को प्रकट करता था—**”देख, जो यहोवा का भय मानता है, वह इसी प्रकार आशीष पाएगा। यहोवा तुझे सिय्योन की भलाई देगा; तू जीवन भर यरूशलेम का कल्याण देखेगा। हाँ, तू अपने बच्चों के बच्चों को देखेगा।”**

और इस तरह, एलीआव और उसका परिवार परमेश्वर की महान कृपा और प्रेम में सदैव आनंदित रहा।

**अंत।**

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