पवित्र बाइबल

बुद्धिमान और मूर्ख भाई की शिक्षाप्रद कहानी

**बुद्धिमान और मूर्ख का मार्ग**

एक समय की बात है, जब यरूशलेम के पास एक छोटे से गाँव में दो भाई रहते थे। बड़े भाई का नाम याकूब और छोटे का नाम एलीशा था। दोनों के पिता एक धर्मी व्यक्ति थे, जो परमेश्वर की व्यवस्था को मानते थे और अपने बच्चों को भी उसी मार्ग पर चलना सिखाते थे। उन्होंने अपने पुत्रों को नीतिवचन की शिक्षा दी, विशेषकर यह कि **”बुद्धिमान पुत्र अपने पिता को आनन्दित करता है, परन्तु मूर्ख पुत्र अपनी माता की शोकग्रस्त करता है”** (नीतिवचन 10:1)।

याकूब अपने पिता की आज्ञा मानता था। वह प्रतिदिन प्रभु के वचन को ध्यान से सुनता, उस पर मनन करता और उसे अपने जीवन में लागू करने का प्रयास करता। वह मेहनती था, अपने खेतों में परिश्रम से काम करता और जो कुछ उपजता, उसमें से कुछ भाग गरीबों और अनाथों के लिए अलग रखता। उसकी बुद्धिमत्ता और दयालुता के कारण गाँव के लोग उसका आदर करते थे।

लेकिन एलीशा का स्वभाव बिलकुल विपरीत था। वह आलसी था, अपने पिता की शिक्षाओं को नज़रअंदाज़ करता और मित्रों के साथ व्यर्थ के कार्यों में समय बर्बाद करता। वह धन को लालच से देखता और बिना मेहनत के धनवान बनने का सपना देखता। उसने कई बार चोरी की और झूठ बोला ताकि अपने स्वार्थ को पूरा कर सके। पिता ने उसे समझाने का बहुत प्रयास किया, परन्तु एलीशा ने कभी नहीं सुना।

एक दिन, गाँव में भयंकर अकाल पड़ा। बारिश न होने के कारण फसलें नष्ट हो गईं और लोगों को भोजन की कमी होने लगी। याकूब ने अपने भंडार में से अनाज निकालकर गरीबों में बाँट दिया, क्योंकि वह जानता था कि **”धर्मी का श्रम जीवन के लिए होता है, परन्तु दुष्ट की कमाई पाप के लिए”** (नीतिवचन 10:16)। उसका विश्वास था कि परमेश्वर उसकी आवश्यकताओं को पूरा करेगा।

लेकिन एलीशा ने इस संकट के समय भी अपनी बुरी आदतों को नहीं छोड़ा। उसने गाँव के कुछ दुष्ट लोगों के साथ मिलकर एक धनी व्यापारी के घर में चोरी की योजना बनाई। रात के अंधेरे में जब वे चोरी कर रहे थे, तभी पहरेदारों ने उन्हें पकड़ लिया। एलीशा को कड़ी सजा मिली और उसे कारावास में डाल दिया गया। उसकी माता इस दुःख को सहन न कर सकी और रोते-रोते बीमार पड़ गई।

जब याकूब को अपने भाई की दुर्दशा का पता चला, तो वह उससे मिलने जेल गया। एलीशा ने अपने पापों पर पश्चाताप किया और याकूब से कहा, **”मैंने अपने जीवन को नष्ट कर लिया। मैंने पिता की शिक्षाओं को नहीं माना और अब मुझे इसका दंड मिल रहा है।”** याकूब ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, **”यदि तू सच्चे मन से पश्चाताप करे, तो परमेश्वर तुझे क्षमा करेगा, क्योंकि उसकी करुणा अनन्त है।”**

समय बीतने के साथ, एलीशा ने अपने जीवन को सुधार लिया। जब वह जेल से बाहर आया, तो उसने ईमानदारी से काम करना शुरू किया और परमेश्वर के मार्ग पर चलने का निश्चय किया। उसकी माता ने उसे देखकर फिर से आनन्दित होने लगी।

इस प्रकार, यह कहानी हमें सिखाती है कि **”धर्मी का मुख जीवन देता है, परन्तु दुष्ट के मुख की बातें उलटफेर लाती हैं”** (नीतिवचन 10:11)। जो परमेश्वर के वचन को मानते हैं, उनका जीवन आशीषित होता है, परन्तु जो मूर्खता से अपना मार्ग चुनते हैं, वे दुःख और पछतावे में जीते हैं। अंत में, यही सत्य है कि **”यहोवा की आशीष ही धनवान बनाती है, और उसके साथ कुछ और दुःख नहीं मिलाता”** (नीतिवचन 10:22)।

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