पवित्र बाइबल

यशायाह का दर्शन: परमेश्वर के पर्वत की शांति (Note: The title is within 100 characters, symbols like asterisks and quotes are removed, and it captures the essence of the story.)

# **शांति का पर्वत: यशायाह 2 की कहानी**

## **भविष्यद्वक्ता यशायाह का दर्शन**

यरूशलेम के पवित्र नगर में, भविष्यद्वक्ता यशायाह ने परमेश्वर का एक अद्भुत दर्शन देखा। उस समय यहूदा के लोग अनेक पापों में डूबे हुए थे। वे मूर्तियों की पूजा करते, अन्याय फैलाते और परमेश्वर की आज्ञाओं को भूल चुके थे। तब यशायाह ने एक ऐसे समय के बारे में बताया जब सारी दुनिया बदल जाएगी और परमेश्वर की महिमा सभी के सामने प्रकट होगी।

## **परमेश्वर के पर्वत की महिमा**

यशायाह ने घोषणा की, *”यहोवा का यह वचन है कि अंत के दिनों में यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर स्थिर किया जाएगा और सब पहाड़ियों से ऊँचा होगा। सभी जातियाँ उसकी ओर बह चलेंगी। बहुत से लोग आकर कहेंगे, ‘आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़ें, याकूब के परमेश्वर के भवन में जाएँ। वह हमें अपने मार्ग सिखाएगा और हम उसके पथों पर चलेंगे।'”*

यशायाह ने उस दृश्य को विस्तार से बताया—एक विशाल पर्वत, जिसकी चोटी आकाश को छू रही थी, जहाँ से परमेश्वर की ज्योति पूरी पृथ्वी पर फैल रही थी। सभी राष्ट्रों के लोग शांति और न्याय की खोज में वहाँ आ रहे थे। कोई युद्ध नहीं था, कोई डर नहीं था, केवल परमेश्वर की प्रेममयी उपस्थिति थी।

## **तलवारें हल में बदल जाएँगी**

भविष्यद्वक्ता ने आगे कहा, *”वह हमारे बीच न्याय करेगा और अनेक जातियों का झगड़ा मिटा देगा। वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल बनाएँगे और भालों से किसानों के हँसिया बनाएँगे। कोई राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के विरुद्ध तलवार नहीं उठाएगा और न ही वे युद्ध की शिक्षा लेंगे।”*

यशायाह के शब्दों में एक ऐसी दुनिया का चित्र था जहाँ मनुष्य अब हिंसा नहीं करेंगे, बल्कि एक-दूसरे के साथ मिलकर शांति से रहेंगे। जो हथियार कभी विनाश के लिए बनाए गए थे, अब वे खेतों में फसल उगाने के काम आएँगे।

## **यहोवा का दिन आने वाला है**

किन्तु यशायाह ने चेतावनी भी दी—यह महान दिन आने से पहले, परमेश्वर का न्याय होगा। *”हे याकूब के घराने, आओ, हम यहोवा के प्रकाश में चलें। परन्तु तू ने अपने लोगों को त्याग दिया है, क्योंकि वे पूर्वजकाल के ढंग से भर गए हैं और टोनहों से खेलते हैं, और परदेशियों के बालकों की तरह व्यवहार करते हैं। उनके देश धन से भर गए हैं, उनके पास असंख्य रथ और घोड़े हैं। उनकी भूमि मूर्तियों से भरी पड़ी है, वे अपने हाथों की बनाई हुई वस्तुओं को झुककर प्रणाम करते हैं।”*

यशायाह ने बताया कि जो लोग घमंड में चलते हैं, जो धन और शक्ति पर भरोसा रखते हैं, उन्हें परमेश्वर के सामने झुकना पड़ेगा। *”यहोवा का दिन आने वाला है, जब वह सब गर्वीले और अभिमानियों को दण्ड देगा, और वे सब दृढ़ गढ़ों में छिप जाएँगे। वे चट्टानों के छेदों में और भूमि की दरारों में घुस जाएँगे, यहोवा के भय से और उसकी महिमा के प्रताप से।”*

## **मनुष्य का घमंड टूटेगा**

भविष्यद्वक्ता ने बताया कि जिस दिन परमेश्वर उठेगा, उस दिन मनुष्य का सारा अहंकार धूल में मिल जाएगा। *”उस दिन मनुष्य अपने चाँदी और सोने को, जिस पर उसे भरोसा था, चूहों और चमगादड़ों के सामने फेंक देगा। वे यहोवा के भय से और उसकी महिमा के प्रताप से चट्टानों की दरारों में छिप जाएँगे, जब वह पृथ्वी को हिलाने के लिए उठेगा।”*

यशायाह ने लोगों से कहा कि वे अपने घमंड को छोड़ दें और केवल यहोवा पर भरोसा रखें। *”मनुष्यों का अभिमान झुक जाएगा, और उनका घमंड दबा दिया जाएगा। उस दिन केवल यहोवा ही महान होगा।”*

## **एक नई आशा**

यद्यपि यशायाह ने न्याय की चेतावनी दी, पर उसने एक आशा भी दिखाई—एक ऐसा समय जब परमेश्वर सभी राष्ट्रों को अपनी ओर खींचेगा और शांति स्थापित करेगा। यह दर्शन यहूदा के लोगों के लिए एक प्रेरणा थी कि वे पाप का मार्ग छोड़कर परमेश्वर की ओर लौट आएँ।

इस प्रकार, यशायाह के शब्दों ने लोगों के हृदयों को छुआ। कुछ ने पश्चाताप किया, जबकि अन्य अपने अहंकार में डटे रहे। परन्तु परमेश्वर का वचन सत्य था—एक दिन, उसका राज्य आएगा, और सभी जातियाँ उसके पवित्र पर्वत की ओर आएँगी, जहाँ शांति और धार्मिकता का साम्राज्य स्थापित होगा।

**~ समाप्त ~**

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