पवित्र बाइबल

एज्रा अध्याय 1: परमेश्वर की प्रतिज्ञा पूरी होती है (Note: The original title provided is already concise, meaningful, and within the 100-character limit. It effectively captures the essence of the story without needing modification.) Alternatively, if you’d like a slightly shorter variation: बंधुआई से मुक्ति: परमेश्वर की प्रतिज्ञा (49 characters) or कुरुश का घोषणापत्र: इस्राएल की वापसी (50 characters) Let me know if you’d prefer a different tone or emphasis!

**एज्रा अध्याय 1: परमेश्वर की प्रतिज्ञा पूरी होती है**

बहुत समय पहले की बात है, जब परमेश्वर के लोग, इस्राएली, बेबीलोन की बंधुआई में थे। वे अपने पापों के कारण परमेश्वर के कोप के भागी बने थे और उनका पवित्र नगर यरूशलेम तथा मंदिर नष्ट हो चुके थे। परन्तु परमेश्वर ने अपने भविष्यवक्ताओं के द्वारा यह वचन दिया था कि वह उन्हें फिर से अपने देश लौटाएगा। और अब, वह समय आ गया था जब परमेश्वर ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी करनी थी।

उन दिनों फारस का राजा कुरुश (साइरस) था। वह एक शक्तिशाली राजा था जिसने बेबीलोन को जीत लिया था। परमेश्वर ने कुरुश के हृदय को छू लिया और उसे अपनी इच्छा पूरी करने के लिए उपयोग किया। एक दिन, राजा कुरुश ने अपने साम्राज्य के हर कोने में एक घोषणा पत्र भेजा। उसने लिखा, “फारस के राजा कुरुश की ओर से यह आज्ञा सबके सामने प्रकट की जाती है: स्वर्ग के परमेश्वर यहोवा ने मुझे पृथ्वी के सारे राज्य दिए हैं, और उसने मुझे आज्ञा दी है कि मैं यहूदिया के यरूशलेम में उसके लिए एक मंदिर बनवाऊँ।”

राजा की आवाज़ गूँजती हुई सुनाई दी, “इस्राएल के सब लोगों में से जो परमेश्वर के लोग हैं, वे यरूशलेम को लौट सकते हैं। परमेश्वर तुम्हारे साथ है। जो भी यहूदा और बिन्यामीन के गोत्रों से है, वह यरूशलेम जाकर परमेश्वर के मंदिर का पुनर्निर्माण करे।”

यह सुनकर बंधुआई में रह रहे इस्राएलियों के हृदय आनन्द से भर गए। वर्षों से वे अपने पूर्वजों की भूमि को देखने के लिए तरस रहे थे। अब परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना सुन ली थी। उनके चेहरों पर आशा की रोशनी दिखाई देने लगी।

कुरुश ने केवल उन्हें जाने की अनुमति ही नहीं दी, बल्कि उसने उनके लिए और भी कई व्यवस्थाएँ कीं। उसने आज्ञा दी कि बेबीलोन के मंदिरों में रखे हुए सोने-चाँदी के पात्र, जिन्हें नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम से लूटकर लाया था, वे सब इस्राएलियों को लौटा दिए जाएँ। राजा के सेवकों ने ध्यान से वे सभी पवित्र वस्तुएँ गिनकर यहूदियों के हाथों में सौंप दीं।

यह एक अद्भुत दृश्य था। सोने के कटोरे, चाँदी के कलश, और अन्य बहुमूल्य वस्तुएँ, जो कभी सुलैमान के मंदिर की शोभा थीं, अब वापस अपने घर जा रही थीं। यह सब परमेश्वर की महान योजना का हिस्सा था।

फिर वह दिन आया जब हज़ारों इस्राएली, अपने सामान, पशुओं और उन पवित्र वस्तुओं के साथ, यरूशलेम की ओर चल पड़े। उनका मार्ग लम्बा और कठिन था, परन्तु उनके हृदयों में परमेश्वर का भय और आनन्द था। वे जानते थे कि परमेश्वर उनके साथ है और वह उन्हें फिर से अपनी भूमि पर बसाएगा।

इस प्रकार, एज्रा अध्याय 1 की यह कहानी हमें सिखाती है कि परमेश्वर अपने वचन के प्रति सच्चा है। उसने यिर्मयाह भविष्यवक्ता के द्वारा कहा था कि वह अपने लोगों को बंधुआई से छुड़ाएगा, और उसने ठीक वैसा ही किया। जब परमेश्वर कोई योजना बनाता है, तो कोई भी मनुष्य या शक्ति उसे रोक नहीं सकती।

आज भी, यह कहानी हमें याद दिलाती है कि परमेश्वर हमारे जीवन में भी कार्य करता है। वह हमारी बंधुआई से हमें मुक्त करता है और हमें नई आशा देता है। जिस प्रकार उसने इस्राएलियों को बेबीलोन से छुड़ाया, उसी प्रकार वह हमें हमारे पापों और संकटों से बचाता है। हमें केवल उस पर विश्वास रखना है और उसकी इच्छा के अनुसार चलना है।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *