**प्रकाशितवाक्य 5: एक विस्तृत कथा**
परमेश्वर के सिंहासन के सामने स्वर्ग की महिमा अपने पूरे वैभव में प्रकट हो रही थी। आकाशमंडल में ज्योति फैली हुई थी, और अनगिनत स्वर्गदूतों की आवाज़ें स्तुति के गीत गा रही थीं। सिंहासन के चारों ओर चार जीवित प्राणी—एक सिंह के समान, एक बछड़े के समान, एक मनुष्य के समान, और एक उड़ते हुए ईगल के समान—खड़े थे, जो निरंतर परमेश्वर की पवित्रता का बखान कर रहे थे। चौबीस प्राचीन, श्वेत वस्त्र धारण किए हुए, सिंहासन के सामने दंडवत प्रणाम करते हुए, अपने मुकुट उतारकर परमेश्वर के चरणों में रख देते थे।
तभी, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के दाहिने हाथ में एक गंभीर दृश्य प्रकट हुआ—एक पुस्तक, जो भीतर और बाहर लिखी हुई थी, और सात मुहरों से बंद की गई थी। यह पुस्तक संसार का भाग्य, परमेश्वर की योजना और अंतिम न्याय का रहस्य समेटे हुए थी। एक शक्तिशाली स्वर्गदूत ऊँचे स्वर में पुकारा, **”कौन योग्य है इस पुस्तक को खोलने और उसकी मुहरें तोड़ने के लिए?”**
परंतु स्वर्ग में, पृथ्वी पर, या अधोलोक में कोई भी योग्य नहीं था। कोई भी उस पुस्तक को नहीं खोल सकता था, न ही उसे देखने का साहस रखता था। यह देखकर यूहन्ना, जो इस दर्शन को देख रहा था, फूट-फूट कर रोने लगा। उसका हृदय टूट गया क्योंकि ऐसा प्रतीत हो रहा था कि परमेश्वर की योजना पूरी नहीं हो पाएगी।
तभी, चौबीस प्राचीनों में से एक ने यूहन्ना से कहा, **”रोओ मत! देख, यहूदा के गोत्र का वह सिंह, जो दाऊद का मूल है, उस पुस्तक को खोलने और उसकी सातों मुहरें तोड़ने के लिए विजयी हुआ है!”**
यूहन्ना ने आँखें उठाईं, और देखा—सिंहासन और चार जीवित प्राणियों तथा प्राचीनों के बीच एक मेम्ना खड़ा था, मानो वध किया गया हो। उसके सात सींग और सात आँखें थीं, जो परमेश्वर की सातfold आत्मा हैं, जो सारी पृथ्वी पर भेजी गई हैं। वह मेम्ना आगे बढ़ा और सिंहासन पर बैठे हाथ से उस पुस्तक को ले लिया।
जैसे ही मेम्ने ने पुस्तक ली, स्वर्ग में एक जयजयकार फूट पड़ी। चारों जीवित प्राणी और चौबीस प्राचीन मेम्ने के सामने गिर पड़े, और प्रत्येक के हाथ में सुगंधित धूप से भरे सुनहरे कटोरे थे, जो संतों की प्रार्थनाएँ थीं। उन्होंने एक नया गीत गाया:
**”हे मेम्ने, तू ही योग्य है उस पुस्तक को लेने और उसकी मुहरें खोलने के लिए! क्योंकि तू वध किया गया, और अपने लहू से हर जाति, भाषा, और लोगों में से परमेश्वर के लिए लोगों को मोल ले आया! तू ने उन्हें हमारे परमेश्वर के लिए एक राज्य और याजक बनाया, और वे पृथ्वी पर राज्य करेंगे!”**
फिर स्वर्गदूतों की असंख्य सेना, जो हज़ारों-लाखों की संख्या में थी, स्वर मिलाकर गाने लगी:
**”वध किया हुआ मेम्ना ही सामर्थ्य, धन, ज्ञान, शक्ति, आदर, महिमा, और स्तुति के योग्य है!”**
और तब सृष्टि का हर प्राणी—आकाश में, पृथ्वी पर, समुद्र के नीचे, और सभी जो उनमें हैं—ने यह कहते हुए प्रतिध्वनि की:
**”उस सिंहासन पर बैठे हुए को और मेम्ने को आदर, महिमा, स्तुति, और सामर्थ्य युगानुयुग हो!”**
चारों जीवित प्राणियों ने “आमीन!” कहा, और चौबीस प्राचीनों ने मुख झुकाकर उपासना की।
और इस प्रकार, मेम्ना—यीशु मसीह, जिसने अपने बलिदान से मानवजाति को छुड़ाया—ने परमेश्वर की योजना को पूरा करने का अधिकार प्राप्त किया। अब वही इतिहास के अंत को प्रकट करेगा, न्याय करेगा, और अपनी प्रजा को अनन्तकाल तक राज्य देगा।