**भविष्यवक्ता यशायाह की कहानी: पृथ्वी का न्याय**
उस दिन, जब सूरज आकाश में धधक रहा था और हवा में एक अजीब सी गर्मी फैली हुई थी, भविष्यवक्ता यशायाह ने परमेश्वर का वचन सुना। उनका हृदय भारी हो गया, क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें पृथ्वी के भविष्य के बारे में एक भयानक दर्शन दिखाया। वह एक ऊँची पहाड़ी पर खड़े थे, और उनकी आँखों के सामने पूरी पृथ्वी उजड़ी हुई दिखाई दे रही थी।
यशायाह ने देखा कि पृथ्वी विलाप कर रही है। जो भूमि कभी हरी-भरी और उपजाऊ थी, वह अब सूखी और बंजर हो चुकी थी। पेड़ों के पत्ते झड़ गए थे, नदियों का पानी सूख चुका था, और खेतों में अनाज के बजाय केवल धूल उड़ रही थी। आकाश में काले बादल छाए हुए थे, मानो स्वयं प्रकृति परमेश्वर के न्याय के लिए तैयार हो रही हो।
फिर यशायाह ने लोगों को देखा। वे सभी भयभीत थे। धनी और गरीब, राजा और दास, सभी एक जैसे थे। कोई भी उस भयानक दिन से बच नहीं सकता था। शहरों के द्वार टूट गए थे, और घरों में केवल सन्नाटा था। लोगों के चेहरे पर हताशा और पछतावे के भाव थे, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को तुच्छ जाना था। उन्होंने मूर्तियों की पूजा की थी, अन्याय किया था, और सत्य को ठुकरा दिया था। अब वह दिन आ गया था जब परमेश्वर उनके पापों का हिसाब ले रहा था।
यशायाह ने सुना कि पृथ्वी गहरी साँस ले रही है, मानो वह भी अपने बोझ से दबी हुई हो। उन्होंने परमेश्वर की वाणी सुनी: **”देखो, यहोवा पृथ्वी को उजाड़ देगा और उसका नाश कर देगा। वह उसका तल उलट देगा और उसके निवासियों को तितर-बितर कर देगा।”**
लोगों के हृदय डर से काँप उठे। जो लोग कभी हँसते-गाते थे, अब वे चिल्ला रहे थे: **”हाय! हाय! यह दिन कितना भयानक है!”** कुछ गुफाओं में छिपने की कोशिश कर रहे थे, कुछ पहाड़ों से गिरने लगे, क्योंकि पृथ्वी हिल रही थी। समुद्र का पानी उबल रहा था, और उसकी लहरें आकाश को छूने लगी थीं।
लेकिन उस अंधकार के बीच, यशायाह ने एक छोटी सी आशा की किरण देखी। परमेश्वर ने उनसे कहा: **”फिर भी, कुछ लोग बच जाएँगे। वे पृथ्वी के कोने-कोने से यहोवा की स्तुति करेंगे।”**
यशायाह ने देखा कि जो लोग विनम्र थे, जिन्होंने परमेश्वर पर भरोसा रखा था, वे एकत्रित होकर उसकी महिमा गा रहे थे। उनके चेहरे पर शांति थी, क्योंकि वे जानते थे कि परमेश्वर का न्याय सत्य है। वे उसकी दया के लिए धन्यवाद दे रहे थे, क्योंकि उसने उन्हें उस भयानक दिन में भी सुरक्षित रखा था।
अंत में, यशायाह ने आकाश को खुलते देखा। सूरज फिर से चमकने लगा, और पृथ्वी पर शांति छा गई। परमेश्वर ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी की थी। उसने दुष्टों को दंड दिया था, लेकिन धर्मी को बचा लिया था।
यशायाह ने अपनी आँखें बंद करके प्रार्थना की: **”हे यहोवा, तू ही धर्मी है। तेरा न्याय सत्य है। हम तेरी महिमा का गुणगान करेंगे, क्योंकि तू ही राजा है।”**
और इस तरह, भविष्यवक्ता यशायाह का दर्शन पूरा हुआ। उन्होंने लोगों को चेतावनी दी कि वे अपने मार्गों को सुधारें और परमेश्वर की ओर लौट आएँ, क्योंकि उसका न्याय निश्चित है, लेकिन उसकी दया अनन्तकाल तक बनी रहेगी।